आत्मविश्वास ही शक्ति का प्रचंड स्रोत होता है जिससे सफलता मिलती है ~ Confidence is the Source of Power

दोस्तों क्या आप जानते हो कि आत्मविश्वास ही शक्ति का प्रचंड स्रोत होता है जिससे हमें सफलता मिलती है | आत्म−विश्वास के आगे दुनिया की बड़ी से बड़ी शक्ति झुकती रही हैं और झुकती रहेगी। हमारी समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों की बागडोर आत्म−विश्वास के हाथ में होती है।


 

कोई भी इंसान जब अपने अन्दर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है, तो वह भी देवताओं के सामान बन जाता है। मनुष्य शक्ति का भण्डार है यह तो ठीक है किन्तु वह इससे लाभ तभी प्राप्त कर पाता है, जब वह उसका सही से उपयोग कर सकेगा।

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दोस्तों स्वामी रामतीर्थ ने कहा था “धरती को हिलाने के लिए धरती से बाहर खड़े होने की जरूरत नहीं है, जरूरत इस बात की है कि हम आत्मा को जानने की कोशिश करें। आत्मशक्ति का ही दूसरा नाम आत्मविश्वास है। जिसका जानकार कर कोई भी आदमी धरती को हिला सकता है।” स्वामी विवेकानन्द, महात्मा बुद्ध, ईसा मसीह,  संत सुकरात और महात्मा गाँधी जी ने इसी प्रचण्ड आत्मशक्ति का सहारा लेकर उन्नति की है। क्या आप जानते हो कि जब स्वामी विवेकानन्द जी संन्यासी वेश धारण कर अमेरिका गये थे, तब अमरीकी लोगों ने उनका मजाक बनाया था किन्तु बाद में उन्होंने अपने आत्मविश्वास से वह उपस्थित महिमा मण्डित व्यक्तियों से जो कुछ किया वह अद्वितीय है।

मित्रों आत्म−विश्वास के आगे दुनिया की बड़ी से बड़ी शक्ति झुकती रही हैं और झुकती रहेगी। आत्मविश्वास होने से हमारे अंदर अनन्त शक्ति एवं ज्ञान का सूरज निकलता है। आत्मविश्वास ही वह अद्भुत शक्ति है जिसके सहारे मनुष्य हजारों संकटों का सामना अकेले ही कर सकता है और अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है।

मानव जाति की उन्नति का श्रेय अगर दिया जाये तो ऐसे ही महापुरुषों को दिया जा सकता है जिनका आत्मविश्वास अनन्त था। उन्होंने ऐसे रास्ते तय किये जिनमें असफलता ही दिखाई पड़ती थी, किन्तु फिर भी उन्होंने विश्वास न छोड़ा और सफलता प्राप्त की थी। आत्म−विश्वास का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह वह शक्ति है, जिससे हमें निराशा में भी आशा की झलक दीखती है। दुःख में भी सुख का आभास होता है और इससे हम बड़े से बड़े कार्य पूरे कर सकते हैं।

हमारी समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों की नियंत्रण आत्मविश्वास के हाथ में है। जब तक आत्मविश्वास रूपी सेनापति आगे नहीं आता है तब तक अन्य सारी शक्तियाँ भी सोयी हुए रहती हैं। जैसे ही आत्मविश्वास जागृत हो जाता है, बाकी सारी शक्तियाँ भी उत्साहित होकर उठ खड़ी हो जाती हैं और आत्मविश्वास के सहारे दस गुना काम करने लगती हैं।

किसी भी कार्य की सफलता विश्वास पर टिकी रहती है। करो या मरो की भावना से ओत−प्रोत होकर हम किसी कार्य को प्रारम्भ करेंगे तो विजय मिलकर ही रहती है |  विश्वास के अभाव में ही दुनिया की बहुत सी महान सफलताओं से हमें वंचित रहना पड़ता हैं।

मित्रों इस बात को हमेशा याद रखो जब व्यक्ति अपने अन्दर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देवताओं के समान बन जाता है। जैसे ही हमारे अन्दर विश्वास पैदा होता है हमारी आत्मा में छुपी हुई शक्तियाँ उफनकर बाहर आ जाती हैं। अपने ऊपर विश्वास करना ईश्वर पर विश्वास करना है। इसी शक्ति से मनुष्य तुच्छ से महान बन जाता है।

दोस्तों आज में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हूँ अगर तुमने इसे जीवन में अपना लिया तो तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा | तुम अपने आपको मिट्टी की तरह नहीं अंगारों की तरह बनाओ क्योंकि मिट्टी को ही जो पैर के नीचे कुचला जाता है। किन्तु अंगारों पर कोई पैर नहीं रखता है।

जो लोग कठिन से कठिन कार्यों को भी अपने करने योग्य समझते हैं, जो लोग अपनी शक्ति पर विश्वास करते हैं, वे अपने चारों ओर अपने अनुकूल परिस्थितियाँ ही उत्पन्न कर लेते हैं। जिस पल व्यक्ति दृढ़तापूर्वक किसी कार्य को सम्पन्न करने का निश्चय कर लेता है, तो समझना चाहिए आधा कार्य पहले ही पूर्ण हो गया। दुर्बल प्रकृति के व्यक्ति केवल स्वप्न ही देखते रहते हैं किन्तु  सक्षम लोग अपने सपनो को पूरा कर  दिखाते हैं।

जिस काम में दो शक्तिशाली हाथ आगे बढ़ते हैं वहाँ दस हाथ सहयोग करने के लिए भी आगे आ जाते हैं। कार्य की नींव आत्मविश्वास पर टिकी होती है। अगर हम अपनी इस नींव को विश्वास के जल से सींचेंगे तो अवश्य ही  बड़े-बड़े काम करने में सफलता प्राप्त करेंगे। अगर मनुष्य में दृढ़निश्चयी तो वह सदा आगे ही बढ़ता है उसके कदम पीछे नहीं हटते हैं।

क्या अपने पीपल के बीज को देखा है |  वह इतना छोटा होता है यदि आपके हाथ से जमीन कर गिर जाए तो तुम्हारे लिए उसे ढूंढ पाना मुश्किल हो जायेगा | इस एक छोटे से बीज में कितनी शक्ति होती यह तब पता चलता है जब वह खेत में बोया जाता है, उसमे खाद और पानी लगाया जाता है | तब वह इतना विशाल पेड़ बन जाता है |

उसी तरह से मनुष्य के अन्दर भी समस्त सम्भावनायें एवं शक्तियाँ बीज रूप में छुपी हुई हैं जो विवेक रूपी जल के अभिसिंचन तथा श्रेष्ठ विचारों की उर्वरा खाद को पाकर जागृत होती हैं। यदि तुम अपने अन्दर की इस अमूल्य शक्ति एवं सामर्थ्य को जान लो  तो तुम भी गाँधी, अर्जुन, बुद्ध, सुकरात एवं विवेकानन्द बन सकते हो।

यदि तुम अपनी शक्तिओं को अच्छे कार्य में लगाओ तो वह कार्य जादू की तरह पूरे होते जाते हैं। मनुष्य शक्ति का भण्डार है यह तो ठीक है किन्तु वह इससे लाभान्वित तभी हो सकता है जब वह उसका सही सदुपयोग करे। मित्रों मनुष्य के पास बोलने की शक्ति है। यदि वह समय, परिस्थिति, एवं श्रेष्ठता का ध्यान रखते हुए बोलता है तो वह वाणी के सहारे दुनिया में बहुत कुछ कर सकता है किन्तु वाणी की शक्ति को ध्यान में रखे बिना व्यर्थ की बकवास और बिना सोच विचार कर बोलना उसका दुरुपयोग ही है।

जीवन भार बन कर जीने के लिए नहीं है। उसे श्रेष्ठता पूर्ण ढंग से जीना चाहिए। भगवान ने मनुष्य को शक्तियाँ इसलिए प्रदान की हैं कि वह उनका सदुपयोग कर ऊँचा उठे और दूसरों को भी ऊँचा उठा सके|

सफलता के बारे में तुम्हारा विश्वास अधूरा नहीं होना चाहिए। उसमें कहीं दरार या छिद्र नहीं होने चाहिए। सफलता के बारे में तिल मात्र भी सन्देह हो तो समझना चाहिए कि प्रयास में कमी है। शिथिलता होने से सफलता दूर चली जाती है। जब तक तुम किसी काम में अपनी समस्त शक्तियाँ नहीं लगाते, अपने मन को एकाग्र नहीं करते तब तक वह काम पूरा नहीं हो सकता है। जितना कठिन काम है उसके लिए उतने ही दृढ़ विश्वास एवं निरन्तर प्रयास की जरूरत होती है। ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो स्वयं प्रयत्नशील होते हैं।

तुम्हारे लगातार परिश्रम के आगे कुछ भी असंभव नहीं है| तुम्हारे आत्मविश्वास के आगे कुछ भी असंभव नहीं है| तुम्हारे दृढ़ निश्चय के आगे कुछ भी असंभव नहीं है। तुम्हारे इन्हीं गुणों के प्रकाश में संसार में प्राण फूँकने वाले कार्य सम्पन्न हुए।

विद्वानों की विध्या आत्मविश्वास से होती है | शूरवीरों का साहस आत्मविश्वास के बल से होता है | महापुरुषों की शक्ति आत्मविश्वास ही होती है | धर्म प्रवर्तकों का तेज आत्मविश्वास के कारण होता है| आत्मविश्वास के होने से ही महान कार्य संभव हो पाते है |

मित्रों छोटी−छोटी बैटरियाँ जल्दी समाप्त हो जाती हैं किन्तु जिन बत्तियों का सम्बन्ध पावर हाउस से होता है वह निरन्तर जलती रहती हैं। उसी प्रकार जब हम आत्मविश्वास के साथ शक्ति के स्रोत ईश्वर से जुड़ जाते है तो हम संसार में गौरव एवं सम्मान के पात्र बन जाते हैं।

गीता में लिखा है कि कभी आत्मा का अपमान न करें | आप अपने अन्दर जिस तरह के विचार रखेंगे वैसा ही आपका आचार−व्यवहार बनेगा। जैसा व्यवहार होगा वैसी ही परिस्थितियाँ सामने आ खड़ी होंगी।

लोग जिन कामों को भाग्य का चमत्कार समझते हैं। पर वास्तव में वह व्यक्ति की दृढ़निष्ठा एवं आत्मविश्वास का परिणाम होती हैं। इस बात को हमेशा याद रखो मनुष्य तुम अपने भाग्य के निर्माता खुद है। तुम्हारे अन्दर शक्तियाँ सोई हुई अवस्था में पड़ी हुई हैं। उन्हें प्रयत्न पूर्वक जगाओ। जिस दिन तुम इस तथ्य को समझ लोगे उस दिन तुम अनन्त शक्ति का भण्डार बन जाओगे। जीवन में सुख और सफलता प्राप्त करने का मूल मन्त्र यही आत्मविश्वास है।

 

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