Bhagavad Gita के कर्मयोग का सार क्या है

 


Summary:

Bhagavad Gita के कर्मयोग का सार क्या है? Bhagavad Gita के कर्मयोग का सार यही है कि हम अपनी प्रसन्नता को कर्तव्य परायणता एवं प्रयत्नशीलता पर अवलम्बित रखें। जो कुछ करें उच्च आदर्शो से प्रेरित होकर करें और इस बात में संतोष माने कि एक ईमानदार एवं पुरूषार्थी व्यक्ति को जो कुछ करना चाहिये था यह हमने पूरे मनोयोग के साथ किया। तुम्हे अभीष्ट वस्तु न भी मिले, किया हुआ प्रयत्न सफल न भी हो तो भी इसमें दु:ख मानने, लजित होने या मन छोटा करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि सफलता मनुष्य के हाथ में नहीं है। अनेकों कर्तव्यपरायण व्यक्तियों परिस्थितियों की विपरीतता के कारण असफल होते हैं, पर इसके लिए उन्हें कोई दोष नहीं दे सकता। यदि तुम अपने मन की असफलता की चिन्ता किये बिना अपने कर्तव्य पालन में ही जो संतुष्ट रहने लगे तो समझना चाहिए कि अपना दृष्टिकोण सही हो गया, तुम्हारी प्रसन्नता आपकी मुट्ठी में आ गयी। कर्तव्य पालन पूर्ण रूप से तुम्हारे हाथ में है और इसे कोई नहीं रोक सकता है। यदि प्रसन्नता को कर्तव्य परायणता पर आधारित कर लिया गया है तो तुम्हारी प्रसन्नता भी मुट्ठी में है और वह डायनुमा से उत्पन्न होती रहने वाली बिजली की तरह कर्तव्य पालन के साथ-साथ स्वयमेव उत्पन्न होकर चित्त को आनन्द, उत्साह और संतोष से भरे रह सकती है। तुम्हारी प्रसन्नता को जब मुट्ठी में रखा जा सकता है और हर घड़ी आनंदित रहने का नुस्खा मालूम है तो क्यों न उसी का प्रयोग किया जाय ? फिर क्यों इस बात निर्भर रहा जाय कि जब कभी सफलता मिलेगी, अभीष्ट वस्तु प्राप्त होगी तब कहीं प्रसन्न होंगे ? इस प्रतीक्षा में मुद्दतें गुजर सकती हैं और यह भी हो सकता है कि सफलता न मिलने पर यह प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा जीवन भर हाथ रहे । इसलिये Bhagavad Gita कार ने यह सहज नुसखा हमें बताया है कि फल की प्रतीक्षा मत करो, उस पर बहुत ध्यान भी मत दो, न तो सफलता के लिए आतुरता दिखाओं और न असफलता मिलने पर परेशान होओ। तुम अपने चित्त को शान्त और स्वस्थ रखकर अपने कर्तव्य को एक पुरूषार्थी व्यक्ति की तरह ठीक तरह पालन करो। ऐसा करने से तुम्हें इस लोक में भी शान्ति मिलेगी और तुम्हारा परलोक भी सुधरेगा। Subscribe to Knowledge lifetime: https://bit.ly/372jJ9F Youtube: https://www.Youtube.com/Knowledgelifetime https://www.knowledgelifetime.com

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