दोस्तों क्या आप जानते हो रामायण के जटायु व गिलहरी को क्यों याद किया जाता है?
रावण सीता को उठाकर आकाश मार्ग से लंका जा रहा था | जटायु ने देखा तो वह तुरंत उससे लड़ने पहुंच गया | जटायु जानता था कि वह उसे हरा नहीं पायेगा, फिर भी वह अपने कर्तव्य से भागा नहीं | रावण ने उसका पंख काट दिया और वह धरती पर आ गिरा |
जब राम सीता को खोजते हुए वह पहुंचे, तो पंख कटे जटायु को गोद में लेकर भगवान राम ने उसका अभिषेक अपने आँसुओं से किया। बड़े स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए, भगवान राम ने कहा- तात्। तुम जानते थे रावण महाबलवान है, फिर उससे तुमने युद्ध क्यों किया ?
अपनी आँखों से मोती ढुलकाते हुए जटायु ने गर्व के साथ कहा- ' प्रभु! मुझे मृत्यु का भय नहीं है, भय तो तब था जब मेरे अंदर अन्याय के प्रतिकार की शक्ति नहीं जागती?
.
भगवान राम ने कहा- तात्! तुम धन्य हो! तुम्हारी जैसी संस्कारवान् आत्माओं से ही संसार को कल्याण का मार्गदर्शन मिलेगा। भलाई करने का मार्गदर्शन मिलेगा। अपने कर्तव्य पर चलने का मार्गदर्शन मिलेगा।
एक और घटना हुई थी रामायण में जब राम की सेना समुन्द्र पर पुल का निर्माण कर रही थी | जिसकी वजह से गिलहरी को याद किया जाता है | गिलहरी एक अजीब काम कर रही थी |
गिलहरी पूँछ में धूल के कण लाती और समुद्र में डाल आती। यह देखकर वानरों ने पूछा- देवि! तुम्हारी पूँछ की मिट्टी से समुद्र का क्या बिगड़ेगा। तभी वहाँ पहुँचे भगवान राम ने उसे अपनी गोद में उठाकर कहा 'एक- एक कण धूल एक- एक बूँद पानी सुखा देने के मर्म को समझो वानरों। यह गिलहरी अनन्त काल तक अच्छे काम में सहयोग के प्रतीक रूप में पूजी जाएगी। गिलहरी की भावना बहुत ज्यादा अहमियत रखती है कि उसने अपना सहयोग दिया चाहिए वह बहुत छोटा ही था | जब समय आया तो जटायु व गिलहरी चुप नहीं बैठे थे | अपने कर्तव्य से नहीं भागे थे | जितनी उनकी शक्ति और सामर्थ्य थी उससे ज्यादा ही उन्होंने किया था इस लिए उन्हें आज तक याद किया जाता है |
इस संसार में अच्छे कार्य के समय जो सोये रहते हैं, वे तो प्रत्यक्ष सौभाग्य सामने आने पर भी उसका लाभ नहीं उठा पाते है। जागृत आत्माओं की तुलना में उनका जीवन जीवित होते हुए भी मरे हुए के समान ही होता है।
यह सच है कि जो संघर्ष के समय आगे आता है, वही श्रेय और सम्मान इस दुनिया में पाता है।
0 टिप्पणियाँ