ब्रह्मचर्य के बारे में देवताओं ने क्या कहा है ~ What have the gods said about celibacy

ऋषिवर! ब्रह्मचारी पुरुष मुझे परम प्रिय जान पड़ता है। ब्रह्मचर्य से ही मेरा निर्भय पद प्राप्त हो सकता है।


मुनिवर! तुम्हारा शाप अंगीकार करता हूँ। विवाह करने से तुम्हारा ब्रह्मचर्य व्रत खण्डित हो जाता और लोक-कल्याण में बाधा उपस्थित होती। इसलिए माया करनी पड़ी। -भगवान देव, मनुष्य और असुर- सबके लिए ब्रह्मचर्य अमृत रूप है। जो वरदान चाहे वह ब्रह्मनिष्ठा से प्राप्त हो सकता है। -पितामह ब्रह्मा ब्रह्मचर्य से ब्रह्मतेज का संचय होता है। पूर्ण तपस्वी अपना तप इसी के बल पर साध सकता है। जो अप्सरा महर्षि विश्वामित्र का तपोभंग कर, मुझे निर्भय करेगी, उसे मेरा सदा सम्मान प्राप्त होगा। - देवराज इन्द्र हे जीव! ब्रह्मचर्य रूपी सुधा निधि तेरे पास है। उसकी प्रतिष्ठा से अमर बन। निराश मत हो। मनुष्यता को सार्थक बनाने का उद्योग कर। -श्रुति ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए, वेदादि शास्त्रों का अध्ययन योग्य है। अधिकारी पुरुष ही अपनी सम्पत्ति की रक्षा कर सकता है। -महर्षि अंगिरा हे निष्पाप! ब्रह्मचर्य से ही संसार की स्थिति है। मूलाधार के नष्ट होने पर ही पदार्थ का नाश होता है। अन्यथा नहीं। -महर्षि वशिष्ठ ब्रह्मचर्य का पालन ब्रह्मपद का मूल है। जो अक्षय पुण्य को पाना चाहता है, वह निष्ठा से जीवन व्यतीत करे। -देवर्षि नारद मोक्ष का दृढ़ सोपान ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य श्रम के सुधरने से सब क्रियाएं सफल होती हैं। -महामुनि दक्ष ब्रह्मचर्य से ही ब्रह्मस्वरूप के दर्शन होते हैं। हे प्रभो! निष्कामता ही प्रदान कर दास को कृतार्थ करें। -मुनिवर भारद्वाज ब्रह्मचर्य से मनुष्य दिव्यता को प्राप्त होता है। शरीर के त्यागने पर सद्गति मिलती है। -मुनीन्द्र गर्ग ब्रह्मचर्य के संरक्षण से मनुष्य को सब लोकों में सुख देने वाली सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। -मुनिराज अत्रि जीवात्मा ब्रह्मचर्य से ही परमात्मा में लीन होता है। आत्म धर्म ही चारों फल की प्राप्ति का साधन है। -महर्षि व्यास ब्रह्मचर्य व्रत के पालन से मनुष्य के अशुभ लक्षण भी नष्ट हो जाते हैं। जो उत्तम धर्म का पालन करना चाहे, वह इस संसार में ब्रह्मचर्य का पालन करें। -पीयूषपाणि धन्वन्तरि हे राजन! ब्रह्मचारी को कहीं भी दुःख नहीं होता, उसे सब कुछ प्राप्त है। ब्रह्मचर्य के प्रभाव से हम अनेक ऋषि ब्रह्मलोक में स्थित हैं। -देवव्रत भीष्म ब्रह्मचारी को सब कुछ सम्भव है। उत्साह से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं। वे ही पुरुष रत्न हैं, जो अपने व्रत का सदा पालन करते हैं। - महावीर हनुमान ब्रह्मचर्य का पालन कर लेने पर मनुष्य किसी भी आश्रम (गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास) में प्रविष्ट हो सकता है। -ऋषीश जाबाल ब्रह्मचर्य से ही ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने की योग्यता प्राप्त होती है। -ऋषिवर पिप्पलाद ब्रह्मचारी रहकर नियमित रूप से अध्ययन करना चाहिए। विधि रहित अध्ययन करने से स्वाध्याय का फल नहीं मिलता। -महामान्य हारीत हे जनक जी! जिसने ब्रह्मचर्य से चित्त की शुद्धि की है, उसी को अन्य आश्रमों (गृहस्थ, वानप्रस्थ, और संन्यास) में आनन्द मिलता है। -बाल-ब्रह्मचारी शुकदेव बिना ब्रह्मचर्य के (विषय भोगों से) आयुष्य, तेज, बल, वीर्य, बुद्धि लक्ष्मी, महत्त्वाकांक्षा, पुण्य, तप और स्वाभिमान का नाश हो जाता है। -स्मृतिकार गौतम मुनि इच्छा से वीर्य का नाश करने वाला ब्रह्मचारी निश्चय पूर्वक अपने व्रत (ब्रह्मचर्य) का नाश कर देता है। -महामति मनु ब्रह्मचर्य और अहिंसा शारीरिक तप हैं। -योगिराज कृष्ण ब्रह्मचर्य के पालन से आत्मबल प्राप्त होता है। -योगाचार्य पतंजलि ब्रह्मचर्य के बल से ही मनुष्य ऋषिलोक को जाता है। -कपिल मुनि ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने वालो को मोक्ष मिलता है। -सनत्सुजात मुनि वीर्य ही सारे शरीर का सार है। मनुष्य का बल वीर्य के अधीन है। ओज ही शरीर की धातुओं का तेज है। -वैधक अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन कर लेने पर, सुलक्षण स्त्री से विवाह करना चाहिए। -मिताक्षरा जो मनुष्य ब्रह्मचारी नहीं उसको कभी सिद्धि नहीं होती। वह जन्म मरणादि क्लेशों को बार-बार भोगता रहता है। -अमृतसिद्धि ब्रह्मचर्य से पाप इस प्रकार कटता है। जिस प्रकार सुर्योदय से अंधकार का नाश होता है। -धर्म संग्रह Subscribe to Knowledge lifetime: https://bit.ly/372jJ9F Youtube: https://www.Youtube.com/Knowledgelifetime

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