बाधाओं से टकराये जो, उसे इंसान कहते हैं ~ Success in Life Motivation in Hindi

 बाधाओं से टकराये जो, उसे इंसान कहते हैं

सफलता सबको प्रिय है । सफलता सभी को आसानी से नहीं मिलती है | तुम प्रत्येक कार्य को मेहनत के साथ करो और उन पर विजय प्राप्त करों । 

दोस्तों बिना बाधाओं के पूरा हुआ कार्य जीवन को आनंद से पूर्ण नहीं कर सकता है । दोस्तों जब तुम कठिन कार्य को हाथ में लेते हो तो तुम्हें आनंद की प्राप्ति कार्य के प्रारंभ करने से ही होने लगती है तथा मार्ग में विघ्न होने पर और आनंद आ जाता है ।

बिना कष्ट उठाये मिली हुई सफलता ऐसी लगती है जैसे हमने कोई वस्तु मुफ्त में प्राप्त की हो । दोस्तों ऐसी वस्तु आनंद-दायक नहीं होती । सोने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि वह आसानी से प्राप्त नहीं होता । लोहा अधिक उपयोगी होने पर भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है । इसलिए लोहा सोने से सस्ता होता है ।

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कठिनाई से प्राप्त वस्तु तुम्हें अधिक आनंद देती है । उसका तुम्हारे मन पर स्थायी प्रभाव पड़ता है । दुर्लभ वस्तु आनंद और सुख प्रदान करने वाली होती है । वह कठिनाइयों से टकराने का इतिहास लिए रहती है । वह इस बात की कसौटी का परिणाम है कि तुम्हारे अंदर ऐसा कार्य करने की क्षमता है । कठिनाई तुम्हारे गुणों की परखने का साधन है । दुर्लभता से प्राप्त वस्तुएँ ही तुम्हारी सफलता की प्रतीक हैं । ऐसी वस्तुओं के विषय में ही पुस्तकों में लिखा जा सकता है । जिसके बारे में प्रवचन दिये जा सकते हैं|  जिसका मिसाल दूसरों को दी जा सकती है |  जो वस्तुएँ आसानी से प्राप्त हो जायें उनके विषय में लिखना अपने समय को व्यर्थ करना है । कोई वस्तु महत्वपूर्ण इसीलिए है कि उसकी प्राप्ति में बाधाएँ आयीं । जिन्हें तुम्हें दूर करना पड़ा था । इन्हीं की प्राप्ति के आनंद से यह संसार रसमय बना है |

कठिनाइयाँ संसार में गतिशीलता बनाये हुए हैं । इन्हीं के कारण तुमको समय-समय पर अपनी कार्य कुशलता का परिचय देने का अवसर प्राप्त होता है । तुम जीवन में बार-बार ठोकरें खाकर अनुभवी बनते हो । तुम्हारे बार-बार संघर्ष करने से त्रुटियों में सुधार होता है और तुम्हारी योग्यता में वृद्धि हो जाती है । कष्टों से तुम दृढ़ तथा साहसी बनते हो। दोस्तों हथियार पत्थर पर रगड़ने से पैने होते हैं । हीरे में भी चमक तभी आती है जब उसे घिसा जाता है । कठिनाइयों के आने से तुम्हारे अंदर चेतनता का संचार हो जाता है । तुम्हारे अंदर जो शक्तियाँ छिपी हैं, वह प्रयोग में न आने के कारण उनकी अभिव्यक्ति नहीं होती है | पर जब कठिनाइयां आती है तो वह शक्तियां प्रकट होकर कार्य में सहायक हो जाती हैं ।

जीवन में कार्य करने की जागरूकता तथा उससे प्राप्त आनंद तभी स्थायी रहता है जब कार्य में कष्टों का समावेश हो । इतिहास में प्रसिद्ध व्यक्तियों ने कष्ट सहे तो उनके सामान्य कार्य भी उनको अमर कर गये वरना वे सामान्य रह जाते । जैसे महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, सरदार भगत सिंह आदि कष्ट सहने के कारण ही महान बने । अगर वह असामान्य और दुर्लभ कार्य न करते तो वे भी सामान्य मनुष्य होते । जागरूकता और परिश्रम से किये गये कार्य बिना कष्ट उठाये पूरे नहीं होते हैं | कष्ट देकर भगवान तुम्हारी परीक्षा लेते हैं । जब तुम इस परीक्षा में सफल होते हो तब तुम्हें आनंद मिलता है। दोस्तों परीक्षा से डरने वाले व्यक्ति उन्नति नहीं कर सकते है, उनकी इच्छायें पूरी नहीं होतीं है ।

सफलता की पूर्ति धीरे-धीरे कार्य करने से होती है । इस बीच में तुम्हें कष्टों से बार-बार टकराना पड़ता है । ये विघ्न कई प्रकार से तुम्हारे सामने आते हैं । दैवी प्रकोप अकस्मात् कठिनाई के रूप में सामने आते हैं । अचानक से आयी कठिनाइयाँ तुम्हारे कार्य पथ को सुगम नहीं रहने देतीं और जिससे प्रायः तुम कार्य छोड़ने तक को तैयार हो जाते हैं । कठिनाई वास्तव में वह नहीं होती जो तुम समझते हैं बल्कि वह तुम्हारे अविवेक का प्रतीक होती हैं । अविवेकी के कारण तुम उन्हें कठिनाइयों के रूप में देखते हो । वास्तव में परिस्थितियाँ ही कठिनाई का परिवर्तन रूप होती हैं । तुम अपनी बुराई के अनुसार कुछ का कुछ समझ जाते हैं । छोटी सी बात तुम्हें  भयानक रूप में दिखलाई देने लगती है । तुम्हारा पुराना अभ्यास तुम्हें बार-बार ऐसा सोचने पर विवश कर देता है ।

अपने स्वभाव में परिवर्तन से तुम कठिनाई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं । अपने स्वभाव को शीघ्रता से बदलना सरल नहीं होता मित्रों । क्या आप जानते हो स्वभाव के बनने में भी पर्याप्त समय लगता है, इसी प्रकार स्वभाव को बदलने में भी समय लगेगा । अतः तुम्हें धैर्य, साहस और दृढ़ता का प्रयोग करना चाहिए । जब तुमसे कोई भूल हो जाती है तब तुम्हें सावधानी से कार्य करना चाहिए । क्या आपने बचपन में नहीं पढ़ा है रस्सी के आने जाने से तो पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं । धैर्य के साथ परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढालने का प्रयत्न करों तो आसानी हो जायगी तुम सफल हो जाओगे । अचानक आयी परिस्थितियों को आने से रोकना तुम्हारे वश की बात नहीं है परंतु उसे सहन करने के लिए तुम्हें अनुभव और अभ्यास की आवश्यकता है ।

अचानक कठिनाई उपस्थित होने पर हम उसे नहीं रोक सकते परंतु उसके रूप को समझ सकते हैं । तेज धूप घास को जला डालती है । परंतु हमेशा के लिए घास समाप्त नहीं होती, वर्षा होने पर वह फिर हरी भरी हो जायगी । ईश्वर ने जिसे जीवन दिया है वह जायेगा, उसे कोई मार नहीं सकता है । प्रकृति का रहस्य बड़ा विचित्र है । प्रकृति विपत्ति की विरोधी सुविधा भी अपने आप प्रदान करती है । बीमारी के बाद आरोग्य प्रदान करने के लिए भूख दी है जो जल्दी ही क्षति पूर्ति कर देती है । ग्रीष्म के बाद वर्षा, ठंड के बाद गर्म, रात के बाद दिन तथा अंधकार के बाद प्रकाश का दर्शन होता है । रोग, शोक आदि स्थायी नहीं हैं उन्हें तो आने की गति से ही जाना है और फिर क्षति पूर्ति भी होती है ।

आपत्ति का आना दुखदायी होता है परंतु मन पर उसकी प्रतिक्रिया का विशेष महत्व है । विपत्ति के बाद घबराहट होना विशेष रूप से भयावह है | घबराहट हमारी जीवन शक्ति को खींच लेती है । घबराहट हमारी जीवन शक्ति को नष्ट कर देती है । इससे भविष्य में शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है ।  इससे भविष्य में मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है ।  इससे भविष्य में सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है । विपत्तियाँ तो बड़े-बड़े महान पुरुषों पर भी छाई रहीं थी सामान्य मनुष्य की तो बात ही क्या है । इस संसार में विरोधी भावों का आना जाना तो चलता ही रहता है । विपत्तियां तो तुम्हारे कर्मों का फल देने के लिए आती हैं । विपत्तियां तो तुमको जाग्रत करने के लिए आती हैं ।  विपत्तियां तो तुम्हारे कार्यों में साहस और बल भरने के लिए आती हैं । समय पर इनके कारण कार्यक्रम बदलना पड़ जाय तो कोई हानि नहीं । तुम्हें अपने को स्थिति के अनुकूल बदल लेना चाहिए ।

अगर तुम पहले संपन्न थे और अब फाइनेंसियल क्राइसिस में हैं तो तुम्हें समाज द्वारा किये जाने वाले उपहास से दुखी नहीं होना चाहिए | क्योंकि जो तुम्हारा उपहास करने वाले है वे कोई विवेकशील व्यक्ति नहीं होते है | मूर्ख आदमी के उपहास को आप रोक नहीं सकते तथा उसके उपहास का कोई मूल्य भी नहीं है ।

इन विपत्तियों द्वारा होने वाली क्षति से आप चाहें तो बच सकते हैं । मित्रों वास्तविक क्षति विपत्तियों से नहीं उसके पश्चात होने वाली विपत्ति से होती है । विपत्तियों से बचने का एक ही उपाय है कठिनाई को वीरता-पूर्वक सामना करों । वीर व्यक्ति ही विपत्ति को हँसते-हँसते झेलते हैं । वीर व्यक्ति अपने भविष्य को उज्ज्वल देखता है । इसलिए वह धड़ काटने वाली तलवार का मुकाबला करता है । मरूंगा तथा स्वर्ग को प्राप्त करूंगा अथवा पृथ्वी को भोग करूंगा, इस भावना से उसके सामने हमेशा उत्साह तथा आशा का संचार होता है । धैर्य, साहस और प्रयत्न ही तुम्हारे बुरे समय के साथी होते हैं । इनके रहते कोई भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ सकता है ।

बुरे समय में मानसिक संतुलन बनाये रखने वाले व्यक्ति दृढ़ रहते हैं और वह कठिनाइयों को हँसते-हँसते झेलते रहते हैं । मानसिक संतुलन से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है । मित्र और शत्रु सीमा में रहते हैं । उसकी अपनी भूल रूपी दुर्घटनायें नहीं सता सकतीं । विवेकशील व्यक्ति दुर्भाग्य का रोना नहीं रोता है । तुम्हें लज्जा बुरे काम से करनी चाहिए | 

सद्गुणों से प्रेरित कर्मों पर तो आपको गर्व करना चाहिए । संसार में महापुरुषों ने संकटों को हँसते-हँसते झेला है । मुसीबतों के थपेड़े उन्हें अपने लक्ष्य से डिगा न सके और अंत में वे सफल हुए । तुम्हें निर्भय होकर, निःसंकोच तथा ग्लानि रहित होकर कार्य में लगे रहना चाहिए । तुम्हें कभी भी घबराना नहीं चाहिए, तभी तुम कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकोगे । जीवन में विघ्नों का आना तो आवश्यक है । तुम उनका साहस के साथ मुकाबला करते हुए अपने मनोबल को ऊंचा रखना चाहिए जिससे तुम एक वीर का जीवन जी सको । तुम्हें बाधाओं को कुचलकर आगे बढ़ना चाहिए |

 

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