व्यक्तित्व किसे कहते हैं ~ What is Personality

व्यक्तित्व किसे कहते हैं?

एक अच्छा व्यक्तित्व सभी पाना चाहते हैं | क्या आप जानते हो व्यक्तित्व किसे कहते हैं? व्यक्तित्व का अर्थ क्या होता है? हमारा व्यक्तित्व कैसे बनता है ? व्यक्तित्व को कैसे निखारें? आज की वीडियो में मैं आपको इसके बारे में शेयर करना चाहता हूँ जो तुम अच्छा व्यक्तित्व प्राप्त करने के लिए मोटीवेट करेगी |

एक सुंदर व्यक्ति वाला व्यक्ति सबके दिलों में निवास करता है | आपका व्यक्तित्व यह दिखाता है की आप कैसा जीवन जी रहे हैं | दोस्तों व्यक्तित्व दो शब्दों से मिलकर बना है व्यक्त और तत्व। जो व्यक्ति के जाहिर तौर पर सामने न होने पर भी दूसरों को प्रभावित करता है वह उसका व्यक्तित्व ही होता है। आपने प्राय: लोगों से यह कहते सुना होगा-अमुक व्यक्ति देवता जैसा है, उसका शानदार व्यक्तित्व है, या फिर अमुक व्यक्ति बहुत अहंकारी है, गांधी जी महान व्यक्तित्व के धनी थे, आदि। ये सभी टिप्पणी व्यक्ति के व्यक्तित्व के अलग-अलग पक्षों की ओर संकेत करते हैं।

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दोस्तों व्यक्तित्व दो प्रकार के होते हैं- १.बाह्य व्यक्तित्व , २. आन्तरिक व्यक्तित्व। व्यक्तित्व वंशानुक्रम पर आधारित जन्मजात नहीं होता बल्कि उसे बनाया जाता है। व्यक्ति का  बाह्य व्यक्तित्व स्थूल शरीर से सम्बन्ध रखता है। व्यक्ति का बाहरी रूप, रंग, कद, स्वास्थ्य, आहार-विहार, आदतें, बातचीत करने का तरीका, व्यवहार, वेश विन्यास आदि सम्मिलित रूप से किसी व्यक्ति के बाह्य व्यक्तित्व को बनाते हैं।

व्यक्ति का आन्तरिक व्यक्तित्व, व्यक्ति के सूक्ष्म और कारण शरीर से सम्बन्ध रखता है। व्यक्ति का चिन्तन, विचार, स्भाव, चरित्र, संस्कार, लोभ, मोह, अहंकार जनित समस्त भावनाएँ, श्रद्धा संवेदना आदि सभी प्रकार के सकारात्मक और नकारात्मक तत्वों से व्यक्ति का आन्तरिक व्यक्तित्व बनता है।

आन्तरिक व्यक्तित्व ही वास्तव में व्यक्ति का वास्तविक व्यक्तित्व होता है, क्योंकि उसी की परछाई बाह्य व्यक्तित्व में झलकती है। इसी आधार पर व्यक्ति स्वस्थ, सुन्दर, सेवा, सहकारिता, आत्मविश्वास सम्पन्न, परोपकारी, उच्च आदर्श से सम्पन्न यो इसके विपरीत होता है।

व्यक्तित्व का अर्थ: प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती है। जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है।

व्यक्तित्व को कैसे निखारें

व्यक्तित्व को निखारने के लिए तुम्हें अपने चिंतन को सही करना होगा |  तुम्हें अपनी आदतों को सही करना होगा | तुम्हें अपने स्वाभाव को बदलना होगा | तुम्हें अपने चरित्र को सही करना होगा |

‘‘जैसा तुम सोचते हो और जैसा तुम करते हो तुम वैसे ही बन जाते हो।’’ निश्चित रूप से तुम्हारा चिन्तन ही है जो व्यक्तित्व को ऊपर उठाता है या नीचे गिराता है। सकारात्मक चिंतन एक ऐसी औषधि है, जिसके सेवन से व्यक्ति को चिकित्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। चिंतन के आधार पर ही तुम्हारे कर्म बनते है। आन्तरिक व्यक्तित्व विकसित करने के लिए, चमकाने के लिए, तुम्हें श्रेष्ठ, सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना, तुम्हें श्रेष्ठ साहित्य को पढऩा, तुम्हें श्रेष्ठ संगति करना, तुम्हें कुसंग से बचना तुम्हें गलत विचारों को क्रियांवित होने से रोकना होगा |  अंतरंग की शुद्धि व परिष्कार से आमूलचूल परिवर्तन हो जाता है। वह रत्नाकर डाकू से महर्षि बाल्मिकी बन जाता है अंगुलिमाल व आम्रपाली सेवा व्रतधारी भिक्षुक/भिक्षुणियों  में रूपांतरित हो जाते हैं।

कोई भी इंसान चिंतन के आधार पर ही कर्म करता है और इस तरह लम्बे समय तक किया जाने वाला कार्य आदत के रूप में स्थापित हो जाता हैं। आदतें अच्छी भी हो सकती है और बुरी भी यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कैसी आदत बनाना चाहता है क्योंकि आदतें हमारे व्यक्तित्व के पहचान है कराती हैं। ऐसी आदतें जिससे किसी को परेशानी हो रही हो, जिससे फिजूल खर्ची झलकती हो, ऐसी आदतें जिससे चरित्र पर असर पड़ता हो, तुम्हें उनसे बचकर रहना चाहिए। तुम्हें देर रात सोने की, सुबह देर में जागने की आदत को छोड़ना होगा, देर में भोजन करना, बड़ो का सम्मान नहीं करना, बात-बात में गाली देना, ये छोटी-छोटी आदतें ही आपके व्यक्तित्व को निखारने में बाधक होते है अतः यदि आप अपना व्यक्तित्व अच्छा बनाना चाहते हैं तो इन छोटी आदतों से अपने को अच्छा बनाने का प्रयास कीजिए, धीरे-धीरे आपके व्यक्तित्व में निखार आते जाये ।

कोई भी आदत जब तुम्हारे जीवन का अंग बन जाती है, तो वह तुम्हारे स्वभाव के रूप में परिवर्तित हो जाती है। जैसे किसी व्यक्ति की बोली बड़ी कर्कश एवं व्यवहार रूखा होता है, तो कुछ की बोली बड़ी मधुर एवं विनम्र होता है, यह उनका स्वभाव है। कुछ व्यक्ति बड़े शालीन होते हैं तो कुछ उदण्ड। इस प्रकार व्यक्ति के व्यवहार से उसका स्वभाव का पता चलता है। यदि आप अपने व्यक्तित्व को अच्छा बनाना चाहते हैं तो जरूरी है कि

आपको शालीनता को अपने स्वभाव का अंग बनाना होगा |

आपको शिष्टाचार को अपने स्वभाव का अंग बनाना होगा |

आपको विनम्रता को अपने स्वभाव का अंग बनाना होगा |

आपको मधुरता को अपने स्वभाव का अंग बनाना होगा |

तभी आपका स्वभाव अच्छा बन सकेगा | आपका व्यक्तित्व ही आपकी सही तस्वीर दुनिया के सामने पेश करता है |

दोस्तों आपका स्वभाव जब तुम्हारे भीतर जड़ें जमा लेता है वह हटने का नाम ही नहीं लेता उसे संस्कार कहते है। संस्कार अच्छा भी होता है और बुरा भी। यह सबको पता है कि बुरे संस्कार से किसी अच्छा व्यक्तित्व नहीं बन सकता। अत: व्यक्ति निर्माण करना है तो अच्छे संस्कारों की परम्परा हमें डालनी ही पड़ेगी। अच्छे संस्कार के लिये अच्छे व्यक्तियों के साथ रहना होगा | अच्छे साहित्यों का अध्ययन करना होगा। जैसे यदि छोटे बच्चे को अपने से बड़ो को प्रतिदिन प्रणाम करने की आदत डाल दी जाये तो यह बच्चे में संस्कार के रूप में स्थाई हो जायेगी।

जैसे तुम्हारे संस्कार होते हैं वैसा ही तुम्हारा चरित्र बन जाता है। जैसा चरित्र बनेगा वैसा ही तुम्हारा व्यक्तित्व बनेगा। अर्थात् चरित्र का निर्माण ही व्यक्तित्व का निर्माण है। किसी महापुरुष ने कहा गया है- ‘धन गया तो कुछ गया, स्वास्थ्य गया तो बहुत कुछ गया, चरित्र गया तो समझो कि सब कुछ चला गया।’ इसे गहराई से समझो | चरित्र की महिमा को समझो | चरित्र के महत्व को समझो | आज तुम्हारा चरित्र कैसा है इस पर विचार करों | एक बार शांति से सोचो तो मेरे भाई |

तुम्हारा आन्तरिक व्यक्तित्व तुम्हारे चिंतन से बनता है, तुम्हारी आदतों से बनता है, तुम्हारे स्वभाव से बनता है, तुम्हारे  चरित्र व विचार से बनता है | तुम्हारा चरित्र ही दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। चरित्रवान व्यक्ति ही अपनी विश्वसनीय छवि के कारण समाज में हर जगह श्रद्धा और सम्मान का पात्र बन जाता है। चरित्र की रचना संस्कारों से एवं संस्कारों की रचना विचारों से होती है। आदर्श चरित्र के लिए आदर्श विचारों को ही ग्रहण करना होता है। छत्रपति शिवाजी, भगतसिंह, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, सरदार पटेल , नेताजी सुभाषचंद्र बोस  का उज्ज्वल व्यक्तित्व व चरित्र उनके आदर्श विचारों के ही प्रतिबिंब है।

दोस्तों व्यक्ति के भीतर संवेदना जागृत होने से सेवा का भाव पैदा होता है और सेवा का भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है।

इसलिए दोस्तों अपने व्यक्तित्व के निर्माण में जुट जाओ | अपना व्यक्तित्व विकास कर लीजिए इस से पहले की देर हो जाए।

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