जीवन में ज्ञान की शक्ति ही दिलाएगी तुम्हें दुखों से मुक्ति ~ Power of Knowledge ~ Motivation in Hindi

 जीवन में ज्ञान की शक्ति ही दिलाएगी तुम्हें दुखों से मुक्ति 

Power of Knowledge

दोस्तों ज्ञान ही वह शक्ति है जो तुम्हारे अंदर साहस उत्पन्न करती है | जीवन की समस्त दुखों, उलझनों और असफलता का मूल कारण मनुष्य का अपना अज्ञान ही होता है।

आचार्य चाणक्य ने कहा है “अज्ञान के समान मनुष्य का और कोई दूसरा शत्रु नहीं हैं।” “अज्ञान ही अन्धकार है। ज्ञान ही जीवन का सार है, ज्ञान आत्मा का प्रकाश है, जो सदा एकरस और बन्धनों से मुक्त रहने वाला है।

दार्शनिक एवं विद्वान लोगों ने संसार को एक विष भरे पेड़ की उपमा दी है। उनके विचार में  इस संसार में आपत्तियाँ भी कम नहीं है। वे कहते हैं कि दूर रहते और न चाहते हुये भी कष्ट कठिनाइयाँ आती है, तुम उलझनों में फंसते हो और फिर उन प्रतिकूलताओं से लड़कर अपने लिये सुख -सुविधा की स्थिति तैयार करना तुम्हारे लिए जीवन भर का एक कार्यक्रम हो जाता है।

.

कष्टों से मोर्चा लेना, सुख सुविधाओं के लिये प्रयास करना और फिर दुखों का क्रम आरंभ हो जाना यह उनके अनुसार एक चक्रव्यूह है जिसमें हर व्यक्ति को फँसना और एक-एक करके उसकी जटिलताओं से जूझते हुये बाहर आना पड़ता है। तुम्हारा सारा जीवन इसी प्रयत्न में बीत जाता है। जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो हर व्यक्ति यह कहता पाया जाता है कि सारा जीवन कठिनाइयों में बीत गया। न सुख मिला न शांति। मस्तिष्क को तो सुखों की तृष्णा के अंबार से लाद लिया गया।

योगवशिष्ठ के अनुसार इस दुख को जिसे व्यक्ति अनुभव करता है | अगर वह इसे एक बार ठीक से समझ ले | तो सही अर्थों में जीवन को कैसे जिया जाना चाहिये यह भी समझ में आ जायेगा।  विद्वान ऋषि लिखते हैं कि अपने ही अज्ञानवश हम सारे संसार को वह जिस रूप में है उसे वैसा न लेकर जीवन भर उसे अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करते रहते हैं। यही हमारी सबसे बड़ी गलती है। यही हमारी सबसे बड़ी भूल है।

यह संसार वास्तव में इतना बड़ा है कि तुम उसे अपने अनुकूल बना ही नहीं सकते। ऐसी बात सोचना ही मूर्खता है | अज्ञान है | अपने इसी अज्ञान का फल तुम्हें दुखों के रूप में मिलता है। तुम यदि यह मानते कि तुम इतने छोटे हो कि संसार की राजी में राजी मिलाकर सुखी हो लो तो शायद यह संभव था पर हमने अहंकार के वश में होकर बड़ा बनना चाहा। हमने यदि ज्ञान का रास्ता पकड़ा होता तो यह अहंकार हमारे पल्ले ही न बँधता। विद्वानों ने सही कहा है कि यह संसार रूपी समुद्र से भी मुक्त हो जाता है।

क्या आप जानते हो, भीगी लकड़ियों को आग नहीं जला पाती, जंगल में लगी आग को हवा भुझा नहीं पाती है | उसी प्रकार ज्ञान से भीगे मनुष्य को ये साँसारिक दुख कभी भी वेदना नहीं दे सकता है, कष्ट नहीं दे सकते है, पीड़ा नहीं दे सकते।

 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ