आत्म विश्वास का जागरण ही सफलता का मूल कारण ~ Self-Confidence Motivation in Hindi

 आत्म विश्वास का जागरण ही सफलता का मूल कारण

जिन्हें तुम सुखी समझते हो, जिन्हें तुम सफल समझते हो, जिन्हें तुम यश-कीर्ति के शिखर पर पहुँचा हुआ समझते हैं, यह मानते हो कि प्रतिकूलताओं से परे कितना प्रसन्नता भरा उनका जीवन है, जरा पास से उनके पिछले जीवन व दैनिक जीवन के झंझावातों का अध्ययन करके देखो मेरे भाई तुम्हारी आंखे खुल जाएंगी। 
 
अगर हो सके तो सीधे उनसे ही पूछने का प्रयास करो कि क्या कभी उनके जीवन में किसी प्रकार की कोई मुसीबत नहीं आयी? उन्हें कष्ट कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा? तब तुम्हें पता चलेगा कि भी सुख-समृद्धि आसमान से फट कर अपने आप नहीं मिली है। रोजमर्रा के जीवन में तुम जो कठिनाइयाँ व मुसीबतें झेलते हो, उन्होंने उनके जीवन को भी उसी प्रकार झकझोरा था जैसे तुम अपने जीवन में देखते हो। जैसे तुम कभी-कभी मानसिक रूप से परेशान हो हताशा के झकोरों में झेलने लगते हैं, ऐसा उनके साथ भी हो चुका है। इससे तुम्हें आत्मबोध होगा,  और कठिनाइयों से जूझने की सहायक शक्तियाँ भी मिलेगी।

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एक बार फिर तुम उन्हीं से जानने का प्रयास करो कि किसने उन्हें विपत्तियों के जाल से उबारा? क्या कोई जादूगर आकर जादू की छड़ी घुमा गया और वे अवरोध गायब हो गए? तब हमें पता चलेगा कि विपन्नताओं के निवारण में आत्म विश्वास ही उनका प्रमुख संबल रहा है। जब सारे संसार ने, सभी मित्रों उन्हें आश्वस्त किया था।, हिम्मत बढ़ाकर सतत् प्रयास के लिए प्रेरित किया था।

तुम्हारी आज की परेशानी तुम्हारी अपनी हताश है, तुम्हारा आत्म विश्वास खो देने की ही प्रतिक्रिया है। तुम हार मान बैठे हैं, तुम समझते हो कि तुमसे कुछ नहीं हो सकेगा, दोस्तों इस बात को याद रखो विपत्तियाँ अपने आप नहीं टलेंगी। यहाँ तुम्हारे चारों ओर अँधेरा ही अँधेरा है। ऐसी स्थिति में तुम अपना आत्म विश्वास जगाकर तो देखो, तुम्हारे पास उपलब्ध वर्तमान के साधन भले ही छोटे व काम हों तुम उनका सदुपयोग करने में जुट जाओ, तुम देखोगे कि कुछ ही दिनों में परिस्थितियाँ बदलती चली जाएंगी। तुम्हें जीवन जीने के इसी कौशल को प्राप्त कराना अध्यात्म विज्ञान का लक्ष्य भी तो है।

जीवन को उन्मुक्त होकर संसार की लहरों में बहने दीजिए। कभी लहर आपसे होकर गुजरेगी, कभी आप लहरों पर उतर आएँगे। समुद्र की गोद में उसकी तरंगों से खेलने का साहस-आत्मविश्वास तुम्हारे अंदर में पैदा हो जायेगा | जो अकेलेपन अथवा पानी में डूब जाने के भय से पानी में उतरता ही नहीं, जो इसी सोच-विचार में पड़ा रहता है कि क्या करूँ? कैसे करूँ? मैं मंजिल तक कैसे पहुँचूँगा? वह कुछ नहीं कर पाता, उसका विश्वास मर जाता है। किसी भी कार्य में लगने से असफल ही होते हैं, जिसके कारण उनका रहा-सहा विश्वास भी मर जाता है।

आत्मविश्वास की ज्योति प्रज्वलित करने के लिए उस कार्य में प्राणपण से जुट जाइए। जो तुम्हें उपयोगी लगता है, जिसे आप अच्छा समझते हैं, उस काम को अपने जीवन का अंग बना लीजिए, अपने स्वभाव का अभिन्न अंग बना लीजिए। इससे आपके विश्वास को बल मिलेगा। लेकिन इस मार्ग में खतरा यह है कि तुम सफलता-असफलता में अपना सन्तुलन खो बैठते हो, इसके लिए आवश्यक यह है कि तुम  सफलता-असफलता को महत्वहीन मानकर सिर्फ उस कार्य को प्रधान मानो जो आप कर रहे हो।

भगवत गीता में भी श्री कृष्ण भगवान् अर्जुन को बता रहे है कि सफलता असफलता की चिंता करे बिना हे अर्जुन तुम अपना सारा ध्यान अपने कर्म करने में लगाओ | अपने कर्म से विमुख होकर हथियार मत डालो | तुम युद्ध करो | कर्म करने में ही तेरा अधिकार है | फल तो मैं खुद देता हूँ |

कर्म की यह निरन्तर साधना ही तुम्हारे मन में विश्वास का अविरल स्रोत खोज निकालेगी। अपने आपको भाग्यशाली-महत्वपूर्ण समझने वालों को संसार भी रास्ता देता है। यह भावना तुम अपने हृदय में कूट-कूट कर भर लो कि तुमको किसी महान उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही धरती पर भेजा गया है। तुम अवश्य उस काम को करोगे। इसी महान श्रद्धा के बल पर तुम क्या से क्या बन सकते हो।

किसी महान आदर्श को तुम अपना आधार बना लो, किसी मिशन को अपना आधार बना लो | अपनी श्रद्धा को आधार बना लो। इस तरह की बलवती श्रद्धा आपके विश्वास को मजबूत करेगी। उन लोगों का विश्वास मर जाता है, जिसके जीवन में कोई आदर्श नहीं होता है , श्रद्धा का कोई आधार नहीं होता है।

समाज की, संसार की, घर-परिवार की, पड़ोस की, राष्ट्र की, किसी महान कार्य की जो कोई भी जिम्मेदारियाँ आप पर आए उन्हें सहर्ष स्वीकार कीजिए। जिम्मेदारियों को अपने कन्धे पर उठाने का संकल्प ही विश्वास की साधना का आधा काम पूरा कर देता है। इस बात को याद रखिए, संसार में ऐसा कोई भी काम नहीं जिसे तुम  कर नहीं सकते हो। फिर तुम जिम्मेदारियों से क्यों डरते हो, क्यों झिझकते हो? इसलिए तुम जिम्मेदारियों की निभाना सीखिए। काम करने से ही अपनी कर्मठता दिखाइए, काम करने से ही अपनी चपलता दिखाइए, काम करने से ही अपनी चुस्ती दिखाइए, काम करने से ही अपना साहस दिखाइए, तुम अपनी शक्तियों पर विश्वास रखो।

तुम लोगों की आलोचना से थोड़ा सा भी विचलित हुए बिना कार्य करते रहो | तुम निर्भय होकर अपने आदर्शों को क्रियान्वित करते चलो | यही आपको शोभा देता है। जीवन का आशाभरा रंगीन चित्र अपनी कल्पनाओं के पटल पर बनाइए। इस बात को सदा ध्यान रखिए- आत्मविश्वास की साधना से सृष्टि का वैभव ही नहीं, सृष्टि के बनाने वाले का प्रेम को भी पाया जा सकता है।

 

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