कोई काम न तो सरल है और न कठिन ~ No Work Is Easy Nor Difficult ~ Motivation

 No Work Is Easy Nor Difficult

संसार में कोई काम न तो सरल है और न ही कठिन |

काम कठिन लगता है, जब तुम्हारी इच्छा नहीं होती |

जब तुम्हें नहीं पता कि उसे कैसे करना है |

जब तुम्हारे पास सही उपकरण नहीं होते है |

काम कठिन है जब तुम आशंका में जीते हो |

जब तुम काम को उदास होकर करते हो |

जब तुम काम को भार समझकर करते हो |

काम कठिन है जब तुम यह सोचते हो कि

उसे तुम पर थोपा गया है, तुम्हारी रूचि न होते हुए भी |

काम कठिन है जब उसमे तुम्हारी व्यक्तिगत दिलचस्पी नहीं है|

काम करने के लिए तुम्हें मजबूर किया गया है |

इसलिए तुम अपने काम में मन को एकाग्र नहीं कर पाते हो |

मन एकाग्र न होने से तुम अपनी क्षमता खो देते हो |

तुम अपनी क्षमता का 10% भी सही से नहीं लगा पाते हो |

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तुम काम को सही तरह से नहीं कर पाते हो |

वह गलतियों से भरा और अपूर्ण रह जाता है |

क्षमता होते हुए भी तुम उचित परिश्रम नहीं कर पाते हो |

जैसे खाद और पानी न मिलने पर पौधे सूख जाते हैं|

वैसे ही समुचित श्रम और मनोबल के न होने से |

कार्य की सफलता समाप्त हो जाती है |

अलसाए शरीर से तुम कैसे काम सकोगे |

दूसरे तुम्हारा क्या अनुसरण करेंगे |

हर काम सरल है यदि तुम उसे खेल की तरह करो |

दिलचस्पी के साथ करो |

अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार करो |

पूरा मन लगा कर करो |

जहाँ दिलचस्पी का समावेश है तब कार्य की शोभा देखते ही बनती है।

एक प्रेमिका अपने होने वाले पति के लिए जो स्वेटर बुनती है |

उसका एक-एक फन्दा किस खूबसूरती और मजबूती के साथ लगाती है |

वह देखते ही बनता है।

माता अपने हाथ से अपने बच्चों के लिए जो भोजन बनाती है|

उसका स्वाद और गुण सहज ही सराहा जा सकता है।

जब काम में दिलचस्पी होती है | जब काम में रूचि होती है |

विषम स्थिति होने पर भी तुम उस काम को अच्छी तरह करते हो |

तब वह कठिन भी नहीं लगता है |

परिश्रम के झंझट में पड़ने की अपेक्षा

मौज-मजा करने का विचार मन में आते ही,

तुम्हारी मस्तिष्क की दक्षता समाप्त हो जाती है |

तुम्हारे शरीर की क्षमता विदा होने लगती है |

काम तुम्हें कठिन लगने लगता है |

तुम असफल होने लगते हो |

पर जब तुम यह सोचते हो कि तुम्हें अपने पैरों पर खड़ा होना है |

अपने खुद के बलबूते जिन्दगी काटनी है।

जब तुम्हें दिखाई देता है कि आज का आलस्य,

कल दरिद्र बनकर सामने आ खड़ा होगा|

तुम्हें पग-पग पर नीचा दिखायेगा।

यह विचार तुम्हें तिलमिला देता है|

यह विचार तुम्हें हैरान कर देता है|

यह विचार तुम्हारी आत्मा को झकझोर देता है|

और तुम अपनी थोड़ी योग्यता और क्षमता को समेटकर |

तत्परतापूर्वक के साथ पूरा प्रयास करने लगते हो |

काम आसान हो जाता है |

तुम बहुत अधिक प्रगति कर लेते हो |

और दुनिया को अचंभित कर देते हो |

तुम्हारे अंदर दक्षता के बीज उचित मात्रा में मौजूद हैं।

तुम्हें सिर्फ उनके विकास का प्रयत्न करना है |

कालिदास का मंदबुद्धि से विद्वान बनना |

सदा बीमार रहने वाले सेन्डो का विश्व विख्यात पहलवान बनना |

वाल्मीकि का डाकू से उच्चकोटि का ऋषि बनना |

यही बताता है कि इंसान के अंदर,

किसी भी दिशा में प्रगति करने की योग्यता और क्षमता होती है |

बस तुम उनका विकास सच्चे मन से, गहरी समवेदना के साथ अनुभव करो |

भीतर से इतना उत्साह उठेगा कि सोई हुई क्षमताएं जाग जाएगा |

अधिकतर जब बड़ी ठोकर लगती है |

तब विपत्ति तुम्हारी आन्तरिक सुषुप्ति को झकझोरकर रख देती है |

उसे सक्रियता की गरिमा स्वीकार करनी पड़ती है।

तब तुम अधिक सक्रिय और सफल होते हो |

यह आवश्यक नहीं की गरीबी और मुसीबत ही तुम्हे सक्रिय बनाएगी |

सारी बात तुम्हारी दिलचस्पी की है |

दिलचस्पी बिना दरिद्र और बिना विपत्ति के भी लग सकती है।

तुम अपने कार्य को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लो |

और उसके अनुसार अपनी प्रतिभा, गरिमा को विकसित करो |

अपने हाथ में लिए काम को पूरा करो |

तब वह काम भी तुम्हारे लिए आसान हो जायेगा |

अधूरे और बेतुके काम को निन्दा की दृष्टि से देखो |

तब तुम्हारा मन कहेगा

जो कुछ मैं करूंगा, वह शानदार होना चाहिए ।

ऐसी ही मनःस्थिति में तुम्हारी दक्षता का विकास होता है।

अपनी मन की इस शक्ति को पहचानों |

इसे शक्ति से धीरे-धीरे तुम्हारी योग्यता बढ़ती चली जाएगी |

एकाग्रता और दिलचस्पी से बढ़कर जादुई शक्ति और कुछ नहीं है |

जो शक्तियों को काम में लगाता है उनमें योग्यता की कमी नहीं रहती।

थोड़ी ही समय में प्रखर प्रवीणता दिखाई देने लगती है |

काम कौन-सा कठिन है कौन-सा सरल जानने लिये यह बात याद रखो |

जिस कार्य में तुम्हारी जितनी कम दिलचस्पी होगी,

जितनी कम तत्परता होगी, वह उतना ही कठिन होगा |

जिस काम में तुम्हारा मन जितना लगेगा |

जिस काम में तुम्हारी जितनी अभिरुचि होगी |

जिस काम में तुम्हारी जितनी श्रमशीलता होगी |

वह उतना ही सरल होगा।

यह जान लो काम को सरल या कठिन कहना व्यर्थ है।

रुचि, आकाँक्षा और श्रमशीलता जिस भी दिशा में,

जिस भी प्रयास में नियोजित होगा,

उसका सरल रहना और सफल होना सुनिश्चित है।

असफल तो वे ही कार्य रहते हैं जिन्हें बेकार, बेगार समझकर

हाथ में लिया गया और रोते-झींकते पूरा किया गया।

हर काम सरल है यदि तुम उसे खेल की तरह करो |

दिलचस्पी के साथ करो |

अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार करो |

पूरा मन लगा कर करो |

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