दृष्टिकोण बदला तो सब कुछ बदल गया ~ When Attitude Changed, Everything Changed ~ Motivation

 When Attitude Changed, Everything Changed

दृष्टिकोण बदला तो सब कुछ बदल गया

यह संसार जिन तत्वों से बना है उनमें भलाई, बुराई, नेकी-बदी, कुरूपता, सुन्दरता, अनुकूलता-प्रतिकूलता के परस्पर विरोधी स्तरों का समावेश है। इन दोनों ही परिस्थितियों से कोई बच नहीं सकता। समुद्र की बनावट ही ऐसी है कि उसमें ज्वार-भाटे आते रहते और हर वस्तु हिलती रहती है। परमाणुओं से लेकर सौर मण्डल और ब्रह्माण्ड में कहीं स्थिरता नहीं। सर्वत्र हलचल की धूम है, इतना ही नहीं उसके साथ ही प्रिय-अप्रिय भी जुड़ा है। 

यदि अपने चिन्तन को मात्र अप्रिय निषेधात्मक पक्ष के साथ जोड़ा जाये तो दुःखदायी घटनायें ही स्मरण रहेंगी और उन्हीं का स्मरण बाद में भी बना रहेगा। जो प्रिय एवं अनुकूल है वह सरसरी नजर से देखने पर आंखों के आगे से निकल जायेगा, उसकी विशेषता और स्थिति भी अनुभव में न आ सकेगी। निषेधात्मक चिन्तन के कारण जो श्रेष्ठ है वह भी निकृष्ट प्रतीत होगा। रंगीन कांच का चश्मा पहन लेने पर सभी वस्तुयें उसी रंग में रंगी हुई दिखाई पड़ती हैं।

यदि अपना चुनाव अशुभ के पक्ष में हो तो असंख्य लोगों में से असंख्यों प्रकार की बुराइयां दीख पड़ेगी। अपने साथ किसने क्या और कैसा दुर्व्यवहार किया है? यदि इसकी स्मृति दौड़ाई जाय तो प्रतीत होगा कि संसार में दानव स्तर के लोग ही रहते हैं और अनीतिपूर्ण अनाचार करने में ही निरत रहते हैं। अपने को कब, कितने दुःख भुगतने पड़े और दूसरों में से किसको कितने दुःख दिये इसकी गणना करने पर प्रतीत होता है कि यह संसार सचमुच ही नरक है—भवसागर है। 

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यहां से जितनी जल्दी, जिस प्रकार भी सम्भव हो छुटकारा पाना चाहिए। ऐसी मनःस्थिति में जीवन भार रूप बन जाता है और उसका प्रभाव उद्विग्न-अशान्त बने रहने के रूप में ही सामने आता है। यहां तक कि इस ऊबड़-खाबड़ दुनिया को बनाने वाले के प्रति भी आक्रोश उत्पन्न होता और भरपेट गाली देने को मन करता है। प्रतिकूलतायें ही सर्वत्र छाई देखकर मनुष्य नास्तिक स्तर का बन जाता है, उसे कोई भी विश्वसनीय नहीं जंचता, सबके प्रति अविश्वास रहता है।

इसके विपरीत एक दूसरा दृष्टिकोण भी है, उसके अनुरूप अपनी दृष्टि बदल लेने पर समूचा दृश्य ही बदल जाता है और सुन्दरता, सज्जनता एवं सदाशयता का माहौल इतना बड़ा दीखता है जिसे देखते हुए लगता है कि भलाई की भी कहीं कमी नहीं। ईश्वर ने ऐसी अद्भुत विशेषताओं वाला शरीर दिया, साथ ही जादू की पिटारी जैसा मनःसंस्थान भी। अभिभावकों और कुटुम्बियों की दुलार भरी उदारता की एक घटना का स्मरण किया जाय तो प्रतीत होगा कि वे औरों के लिए कैसे भी क्यों न हों, अपने लिए तो देवता तुल्य ही रहे हैं। मित्र, सहपाठियों का स्नेह-सौजन्य, अध्यापकों का ज्ञानदान ऐसे पक्ष हैं जिनकी उपलब्धि बिना वह स्थिति न आ पाती जो आज है।

पत्नी का सौजन्य और सेवाभाव यदि उदार दृष्टि से देखा जाय तो प्रतीत होगा कि वह किसी भी प्रकार ऐसा नहीं है जिसे देवोपम न माना जाय। घर को खुशी और किलकारियों से भर देने वाले बच्चों को, परिवार के अन्यान्य आश्रितजनों को सभी की सद्भावना मिलती है। समाज का ऐसा सुगठन है जिसमें आजीविका के साधन सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं। दैनिक उपयोग की इतनी, इतने प्रकार की वस्तुयें मिलती रहती हैं जिनके सहारे प्रसन्नता और तृप्ति ही मिलती रहती है।

प्रकृति की ओर दृष्टि उठाकर देखा जाय तो चलते-फिरते खिलौनों जैसे पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, सरिता-सरोवर, पहाड़-वन, सूर्य-चन्द्र और तारागण, बादलों वाला आकाश, वृक्ष-वनस्पतियां सभी कुछ ऐसा है जिसका मनोरम सौन्दर्य देखते-देखते मन नहीं भरता।

सत्प्रयोजनों में संलग्न, चरित्रवान, उदारमना मनीषियों की खोज की जाय तो उनकी गाथाओं से इतिहास भरा पड़ा मिलेगा। आज भी उनकी कमी नहीं है, संख्या भले ही कम हो और वे निकट नहीं दूर रहते हों, किन्तु उनका अस्तित्व इतना अवश्य है कि प्रसन्नता व्यक्त की जा सके और सन्तोष की सांस ली जा सके। तथ्य एक ही है कि अपना दृष्टिकोण किस स्तर का है? उद्यान में भौंरे को सुगन्ध की मस्ती और मधुमक्खियों को शहद की मंजूषाएं लटकती दीखती हैं, पर गुबरीला कीड़ा पौधों की जड़ों में लगे हुए सड़े गोबर तक जा पहुंचता है और सर्वत्र दुर्गन्ध ही दुर्गन्ध पाता है। एक बार गुरु ने दुर्योधन और युधिष्ठिर को एक ही गांव में भले और बुरे लोगों की सूची बना लेने के लिए भेजा। दुर्योधन को सभी दुष्ट और युधिष्ठिर को सभी सज्जन दीखे। वहां थे दोनों ही प्रकार के लोग, पर अपने दृष्टिकोण के अनुरूप उनने उसी नजर से देखा तो उन्हें बहुलता अपनी खोजबीन के अनुरूप ही दिखाई दी।

संसार में बुराइयां न हों सो बात नहीं है, पर वे ऐसी हैं कि उन्हें सुधारने के माध्यम से हम अपना पुरुषार्थ जगा सकें, प्रगतिशीलता का परिचय दे सकें। अनीति न हो तो संघर्ष किससे किया जाय? शौर्य-साहस प्रकट कर सकने का अवसर किस प्रकार आये?

दुष्टता की उपेक्षा की जाय या उसे सहते रहा जाय, बढ़ने दिया जाय—यह कोई नहीं कहता। उन्हें सुधारने-बदलने के लिए भी भरपूर प्रयास करना चाहिए, पर इसमें खीजने की, असन्तुलित होने की आवश्यकता नहीं है। डॉक्टर को सारे दिन उन्हीं के बीच रहना पड़ता है जिनने असंयम बरतकर अपने स्वास्थ्य को बिगाड़ लिया है। वे उनके घाव धोते, मरहम लगाते और आवश्यकतानुसार चीर-फाड़ भी करते हैं। वे रोग को मारते और रोगी को बचाते हैं, इस रीति-नीति को अपनाकर कुरूपता को सुन्दरता और दुष्टता को सज्जनता में बदला जा सकता है। प्रेम-सौजन्य से काम न चलता हो तो आवश्यकतानुसार दण्ड नीति भी अपनाई जा सकती है और प्रताड़ना का प्रयोग भी किया जा सकता है, पर इसमें भी अपनी सुधार परायण सज्जनता की भाव संवेदना का ही अनुभव प्रयुक्त किया जा सकता है।

फिर अपनी निज की सद्भावना ही अपने लिए कम आनन्ददायक नहीं होती। वस्तुतः उद्विग्न अपने दृष्टिकोण के कारण ही होता है। ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, छिद्रान्वेषण, असन्तोष, असंयम आदि के कारण ही ऐसी मनःस्थिति बनती है जिसमें खीज, खिन्नता और विद्वेष से मन भरा रहता है। कभी स्वल्प कारण होने पर भी तिल का ताड़ बनता है और चिन्ता, भय, निराशा, आशंका, अविश्वास आदि मनोविकारों का समूह चढ़ दौड़ता है और स्थिति ऐसी पैदा कर देता है जिसमें चैन से रहना और सम्पर्क वालों को चैन से रहने देना बन ही नहीं पड़ता।

स्मरण रखने योग्य यह है कि अन्धकार कितना ही विस्तृत क्यों न हो, पर वह प्रकाश से अधिक मात्रा में नहीं हो सकता। संसार में अशुभ कितना ही क्यों न हो, पर वह शुभ से अधिक नहीं है। गन्दगी और स्वच्छता का अनुपात लगाया जाय तो स्वच्छता ही अधिक मिलेगी। यदि ऐसा न होता तो आत्मा इस संसार में आने और रहने की इच्छा न करती। कठिनाई अपना दृष्टिकोण उलझा लेने भर की है और वह ऐसा नहीं है जिसे सुधारा-बदला न जा सके।


साहस

 

हिम्मत

 

नेतृत्व

 

वीरता

 

भेड़ अपने नेता के पीछे-पीछे चलती हैं।

 

वे अपने झुंड के पीछे चलती हैं।

 

उन्हें नहीं पता कि वे कहाँ जा रही हैं।

 

कई बार उन्हें बूचड़ख़ाने ले जाया जाता है,

 

लेकिन वे पीछे चलती रहती हैं।

 

वे नेतृत्व नहीं करती हैं।

 

वे अपने दिमाग़ का इस्तेमाल नहीं करती हैं।

 

एक शेर नेतृत्व करता है।

 

अपनी ज़िंदगी के लिए खड़े होने और

 

लड़ने के लिए साहस चाहिए।

 

अपनी पसंद की दिशा मे जाने की हिम्मत होनी चाहिए।

 

चाहे भले ही लोग आपको अकेला छोड़ जाएं,

 

आप अपने रास्ते पर चलते रहते हैं।

 

सिर्फ़ आप जानते हैं कि आपके लिए क्या बेस्ट है।

 

सिर्फ़ आप जानते हैं कि आपको कौन-सा रास्ता चुनना चाहिए।

 

सिर्फ़ आप अपने साहस को पहचानते हैं,

 

अपनी हिम्मत को जानते हैं,

 

अपने ह्रदय को जानते हैं।

 

हर किसी के अंदर एक शेर का दिल होता है।

 

उसे बाहर निकालें!

 

उसे आपके भीतर से चीखने का मौक़ा दें।

 

शेर की तरह अपने भीतर के जानवर को खुला छोड़ दें!

 

दृष्टिकोण

 

वह होता है जो आप सोचते हैं,

 

जो आप करते हैं,

 

और जो आप अपने बारे में महसूस करते हैं।

 

आपका दृष्टिकोण इस जीवन में सब कुछ है।

 

पूछिए क्यों?

 

चाहे आप ऊपर जा रहे हों या नीचे गिर रहे हों,

 

सब कुछ आपके उस दृष्टिकोण पर निर्भर करता है

 

जो आपने उस पल दिखाया था।

 

आपका दृष्टिकोण आपकी ऊँचाई का निर्णय लेता है।

 

ध्यान से सुनिए।

 

मैं मुश्किल दौर से गुज़र चुका हूँ।

 

मैंने यह अनुभव किया है और मैं आपको बताना चाहता हूँ कि

 

मेरा पैसा मुझे इतना आगे लेकर नहीं आया।

 

जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया।

 

वो मेरा दृष्टिकोण था जिसने मुझे कहा कि जब

 

समय कठिन हो, तो मुझे चलते रहना चाहिए।

 

शेर के इसी दृष्टिकोण के बारे में मैं बात कर रहा हूँ।

 

सवाल यह है कि आपका अपने जीवन के प्रति क्या दृष्टिकोण है।

 

आप अपने बारे में क्या सोचते हैं?

 

इस समय जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ,

 

तो क्या आप अपने बारे में वैसे ही सोचते हैं जैसे ईश्वर आपके बारे में सोचता है?

 

या आप अपने बारे में वैसे सोचते हैं जैसे आपका परिवार और आपके दोस्त आपके बारे में सोचते हैं?

 

आपको शेर के दृष्टिकोण की ज़रूरत है।

 

आपको अपनी किस्मत को अपने हाथों में लेने के दृष्टिकोण की ज़रूरत है।

 

आपको शेर के उस दृष्टिकोण की ज़रूरत है जो कहता है कि

 

"मैं कर सकता हूँ!"

 

आपको शेर के दृष्टिकोण की ज़रूरत है।

 

उस दृष्टिकोण की जो कहता है कि "मैं करूँगा!"

 

क्योंकि मुझमें हिम्मत है लड़ने की।

 

आपको शेर के दृष्टिकोण की ज़रूरत है

 

अगर आप महानता के लिए खड़े होना चाहते हैं।

 

असली शेर भूखे होते हैं

 

जब उनके मिशन का समय आता है।

 

शेर किसी के पीछे नहीं चलते हैं।

 

वे नेता होता हैं,

 

जो बाकी जानवारों का नेतृत्व करते हैं।

 

शेर बनें!

 

निडर बनकर रहें।

 

बातें न करें,

 

बल्कि कर के दिखाएं।

 

असली शेर दिखाते हैं कि वे कौन हैं।

 

एक शेर सम्मान की खोज में नहीं रहता है।

 

वे सम्मान और अधिकार प्राप्त करते हैं

 

क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि उनकी इज़्ज़त की जानी चाहिए।

 

शेर बनें!

 

एक भेड़ अपने नेता के पीछे चलती है।

 

एक शेर नेतृत्व करता है।

 

अपनी ज़िंदगी के लिए खड़े होने और लड़ने के लिए साहस चाहिए।

 

अपनी पसंद की दिशा में जाने की हिम्मत होनी चाहिए।

 

चाहे भले ही कोई दूसरा आप पर विश्वास नहीं करता हो।

 

अपने दिल की सुनिए।

 

सिर्फ़ आप जानते हैं कि आपके लिए बेस्ट क्या है।

 

सिर्फ़ आप जानते हैं कौन-सा रास्ता लेना चाहिए।

 

आपके अंदर एक शेर का जिगर है।

 

उसे बाहर निकालें।

 

इस दुनिया में फिट बैठने के बारे में न सोचें।

 

दूसरों से अलग बनें।

 

और अपने तोहफ़ा का इस्तेमाल करें।

 

एक शेर निश्चित होता है।

 

शेर के दिमाग़ में "शायद" जैसी कोई चीज़ नहीं होती है।

 

"यह मेरा फ़ैसला है और मैं इस पर तब तक डटा रहूँगा जब तक मुझे मेरे पसंद का नतीजा नहीं मिलता!"

 

मुझ पर कोई धौंस नहीं जमा सकता है।

 

कौई मुझे ये नहीं बता सकता कि मुझे कहाँ जाना चाहिए।

 

और मुझे क्या करना चाहिए।

 

अगर मुझे कुछ चाहिए, तो मैं उसे अपनी पूरी ताकत लगाकर पाकर रहूँगा!

 

भेड़ निश्चित नहीं होती है।

 

यही वजह है कि वह झुंड के पीछे चलती है।

 

वे नहीं जानतीं कि वे कहाँ जा रही हैं।

 

उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

वे बस जीवन के साथ बहती रहती हैं।

 

उन्हें खींचा जाता है और उन्हें धकेला जाता है।

 

सिर से लेकर पाँव तक उनके ऊन को कतरा जाता है

 

तबतक जबतक उनके पास देने के लिए कुछ नहीं बचता।

 

और मैं यही चीज़ आप में से कई लोगों में देखता हूँ।

 

ये जीवन, ये दुनिया, और समाज आपकी आत्मा को कतर रही है।

 

सिर से लेकर पाँव तक आप अपने अनूठे पदचिह्न को खो रहे हैं।

 

आप वह बन जाते हैं जैसा दूसरे आपको देखना चाहते हैं।

 

आप वह नहीं बनते जो आप बनना चाहते हैं।

 

किसी को भी खुद पर धौंस न जमाने दें।

 

शेर की तरह बनें!

 

अपनी आत्मा के साथ इतनी ज़ोर से दहाड़ें कि

 

कोई भी फिर कभी आप पर संदेह न करे।

 

आपके लक्ष्यों पर कोई सवाल न उठाए।

 

कोई भी कभी भी आपको फिर चुनौती देने की हिम्मत न करे।

 

क्योंकि आप एक सितारे की तरह चमकेंगे।

 

एक शेर की तरह!

 

आपका दिल एक शेर का दिल है।


तुम अपने अंदर साहस को पैदा करो |

तुम अपने अंदर हिम्मत जगाओ |

तुम नेतृत्व करने क्षमता विकसित करों |

एक वीर योद्धा की तरह अपने वीरता दिखाओ |

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