खतरों से डरे या उनसे जूझें?
खतरों से डरें नहीं उनसे जूझें का साहस करें |
साहस तुम्हारी प्रगति के हजार कामों का समाधान कर देता है।
साहसी लोग ही सदा खतरों से जूझते हैं |
साहस से ऐसा काम कर देते है, जो दूसरों को चकित कर देती है।
कायर मनोवृत्ति के लोग ऐसे छोटे-मोटे कार्यों की तलाश में रहते हैं|
पर जो वास्तव में साहसी हैं,
उन्हें इस प्रकार की आवश्यकता नहीं पड़ती है |
इसका कारण यह है कि खतरों से खेलना उनका स्वभाव ही होता है|
साहसी लोग जिस भी कार्य में वे हाथ डालते हैं|
वही कार्य उनके साहस का परिचय देने लगता है।
अद्भुत और अभूतपूर्व स्तर के कार्य पूरे होने से,
करने वाले की और कार्य की प्रसिद्धि भी आ जुड़ती है।
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प्रसिद्धि होने से कीर्ति का बढ़ने लगती है |
और यश मिलना स्वाभाविक हो जाता है।
यह एक सहज प्रक्रिया है,
जिसमें यश लिप्सा नहीं होती है,
पर कार्य की अद्भुतता के कारण ख्याति मिलती चली जाती है।
इस ख्याति से व्यक्ति की शोभा बढ़ती है|
तुम्हारे इस असाधारण व्यक्तित्व के साथ मिलकर कर्तव्य भी शोभा पाने लगता है।
यह तुम्हारी विशिष्टता का ही प्रभाव है।
तुम्हारी प्रतिभा के सामने कोई भी कार्य रुक नहीं सकता है |
कितने ही खतरे क्यों न आ जाये राह में |
खतरों को देखकर, डरपोकों को दूर से ही डर लगने लगता है|
साहसी उसके पास जाने का साहस करता है |
जैसे-जिसे वह पास जा पहुंचता है|
वैसे-वैसे नया साहस और नया उत्साह मिलता जाता है।
गुब्बारे से उत्तरी-ध्रुव की यात्रा करने वाले यात्रियों को जो अनुभव हुए,
उन्हें सुनकर दाँतों तले उँगली तो दबानी पड़ती है,
पर यात्रियों ने उस नवीनता के साथ जुड़ी हुई प्रसन्नता को जो वर्णन किया,
उसे सुनकर लगता ऐसा ही है, वस्तुतः वैसा होता नहीं।
वस्तुतः इस विश्व का इतिहास लिखा ही उन्होंने हैं,
जिन्होंने खतरे उठाये हैं।
भले ही यह प्रयोग उस समय दिवालिये होते व्यवसाय को रोकने के लिए किया गया हो|
किंतु इसने संभावनाओं के अनेकानेक द्वार खोल दिये।
बाद में लोग स्की की मदद से, पैदल भी गए जो अधिक खतरे से भरा काम था।
किंतु इस पहले दल ने जो साहस किया |
वह शौर्य रूपी विभूति के नाम से जाना जाता है|
साहस से जो भी कार्य पूरा किया जाता है |
वह बदले में ढेरों यश-कीर्ति साथ लेकर आता है।
यह मार्ग सबके लिए खुला है।
साहस उन्नति के द्वार खोल देता है |
इसलिए खतरों से डरे नहीं उनका साहस के साथ मुकाबला करों |
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