विपत्ति की पाठशाला में शिक्षा ~ Education in the School of Adversity ~ Motivation

 विपत्ति की पाठशाला में शिक्षा

INT: क्या अपने विपत्ति की पाठशाला के बारे में सुना है | आज मैं उसी पाठशाला की ही बात करूँगा | और आपके निवेदन करना चाहूंगा की आप भी इस पाठशाला में शिक्षा प्राप्त करे |

विपत्ति की पाठशाला बहुत बड़ी पाठशाला है|

यदि वहाँ तुम सीखने के लिये जाओ।

पर विपत्ति की पाठशाला के नाम से तुम डर जाते हो |

तुम्हारे पैर कांपने लगते है |

तुम्हारी साँस रुकने लगती है |

तुम्हारा मानसिक संतुलन खोने लगता है | 

तुम्हारी आवाज नहीं निकल पाती है |

विपत्ति की पाठशाला से इतना डरते क्यों हो भाई!

आओ कौन है, जो इसमें अड्मिशन लेना चाहता है |

विपत्ति की पाठशाला में कोई पैसा नहीं लगता है |

अन्य पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करने के लिये,

आवेदन पत्र देने से लेकर कई एक प्रक्रियायें पूरी करनी पड़ती हैं

महाविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त करना तो मुश्किल हो गया है।

प्रवेश न मिलने पर तुम निराश हो जाते हो |

.

जितना उत्साह और समय तुम इन पाठशालाओं में भर्ती होने के लिये प्रयत्न करते हो |

 उसका समय का एक १% भी नित्य खाली रहने वाली, 

"विपत्ति की पाठशाला" में लगाते,

तो तुम अपने जीवन को धन्य बना सकते थे |

विपत्ति की पाठशाला

फ्राँस को एक नयी जीवन दृष्टि देने और सम्पूर्ण राज्यशासन को उलटने की भूमिका तैयार वाले, 

महान विचारक रूसो से जब किसी ने पूछा- “अपने किस स्कूल में शिक्षा प्राप्त की?”

रूसो ने कहा:  “विपत्ति को पाठशाला में।”

रूसो ने स्कूल के तो कभी दर्शन नहीं किये थे,

परन्तु शिक्षा तो अवश्य प्राप्त की थी,

तभी तो अपने प्रखर विचारों द्वारा फ्राँसीसी शासन

और ढर्रे-बन्द समाज व्यवस्था की जड़ें खोदने में,

एक सीमा तक वे सफल हो गए थे |

तुम्हें आने वाली विपत्तियों का भी उत्साह पूर्वक स्वागत करना चाहिए|

क्योंकि सीखने के लिए तुम्हें वे बहुत कुछ देती है|

और सिखाने के लिए ऐसी महत्वपूर्ण शिक्षायें अपने साथ लेकर आती है|

यदि तुम उनसे सीख सके तो सुविधाएँ न मिलने पर भी |

तुम अपने व्यक्तित्व को सफल बना सकते हो |

अधिकतर तुम विपत्तियों के आने पर

या तो रोने घबड़ाने लगते हैं |

अथवा उनसे पलायन की बात सोचने लगते हैं।

विपत्तियाँ न तो रोने के लिये हैं

और न जीवन से पलायन कर जाने के लिये।

जब तुम उनके उद्देश्य को समझ नहीं पाते हो |

तुम कलपने लगते हो |

तुम उस दब्बू छात्र की तरह बन जाते हो |

जो कक्षा में दिये गये पाठ को पूरा करने से घबराता हैं |

ऐसे छात्र की न तो कोई प्रगति हो पाती हैं |

न ही मानसिक विकास होता है।

उसी प्रकार विपत्ति की पाठशाला में,

विपदाओं के पाठ से जी चुराने वाला,

घबड़ाने वाला व्यक्ति,

अपने व्यक्तित्व के विकास में पिछड़ जाता है।

तुम अपने आप को जीवनरूपी गाड़ी चलाने में असमर्थ पाते हो |

जीवन से पलायन कर लेने की सोचने लगते हो |

विपत्ति की पाठशाला तुम्हें परिश्रम से काम करना सिखाती है |

विपत्ति की पाठशाला तुम्हें सतत अध्यवसाय करना सिखाती है |

विपत्ति की पाठशाला तुम्हें लगन से काम करना सिखाती है |

विपत्ति की पाठशाला तुम्हें संघर्ष की भावना से काम करना सिखाती है |

विपत्ति की पाठशाला तुम्हें ज्ञान की महत्ता बताती है |

तुम विपत्ति की पाठशाला में पढ़ कर स्वयं को सफल लेते हो |

धन्य भी बना लेते हो |

तथा औरों के लिए भी ऐसा अनुकरणीय आदर्श उपस्थित करते हो|

जिसके प्रकाश में अन्य लोग भी चलते रहें।

तुम जीवन में सफलता प्राप्त करते हो |

 

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