उदासी पालकर क्यों दुनिया को दुखी करते हैं आप ? ~ Why do you make the world sad by fostering sadness? ~ Motivation

 उदासी पालकर क्यों दुनिया को दुखी करते हैं आप ?

उदासी पालकर क्यों दुनिया को दुखी करते हैं आप ?

उदासी को मत पालो |

दूर रहो इससे |

तुम खुद भी दुखी होते हो |

दूसरों को भी दुखी करते हो |

जब तुम स्वार्थ के वश में होकर कार्य करते हो |

जब उसकी पूर्ती नहीं होती है |

तुम्हारे अहम को गहरी चोट लगती है |

तुम्हारा मन दुखी हो जाता है |

तब तुम आदर्श विहीन जीवन क्रम अपनाते हो |

और अंत में उदास बन जाते हो |

तुम अपनी गरिमा गंवाकर अंदर से खोखले हो जाते हो |

तुम्हारे व्यक्तित्व भी बकरी की तरह हो जाता है |

तुम अपने असली स्वरूप को भूल जाते हो |

तुम्हारा कोई भी साथी नहीं रह जाता है |

उदासी और अकेलापन तुम्हारी जीवनी-शक्ति को समाप्त कर देता हैं |

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तुम बकरी की तरह में-मैं करने लगते हो |

तुम्हारा आत्मिक आनंद भी समाप्त हो जाता है |

तब उदासी एक स्थायी रोग बन जाते हैं।

तुम उदासी दूर करने के लिए नशा करने लगते हो |

यही तुम्हें सस्ता उपाय दिखाई देता हैं|

शुरुआत में थोड़ी मात्रा से भी काम चल जाता हैं|

और पर बाद में उनकी मात्रा बढ़ानी पड़ती है।

तब यह तुम्हारी सफलता को असफलता में बदल देती है |

तुम्हारा स्वास्थ्य ख़राब होने लगता है |

तुम्हारा मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है |

तब तुम जाल में फंसे पक्षी की तरह फड़फड़ाने लगते हो |

तुम्हारे सामने कोई भी रास्ता शेष नहीं रह जाता है |

उदासी, उदासी ही जीवन में रह जाती है

उदासी उसकी एक आदत बन जाती हैं।

महान लोगों को भी मानसिक उदासी का शिकार बनते देखा गया हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध के सबसे बड़े राजनेता विंस्टन चर्चिल इसके शिकार हो गये थे।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को भी यह जीवनपर्यंत पीड़ा देती रही।

काल्पनिक भय के भूत को सिर पर सवार मत होने दो।

आशंका को अपने मन में मत आने दो |

विश्वास रखो! तुम उदासी से छुटकारा पा सकते हो |

अपने कर्तव्य की उपेक्षा मत करो |

वैराग्य की आड़ में अपनी उदासी को आध्यात्मिक रंग देते हैं।

अपने दुर्भाग्य को अटल मान बैठते हैं।

अपने विकृति जीवन को ही सत्य मत मानो |

अपनी कायरता को अहिंसा के आवरण में मत लपेटो |

अपनी आत्महीनता को दार्शनिक आवरण में मत लपेटो |

ऐसा करके तुम उदासी के गड्ढे में जा गिरते हो।

और फिर तुम आत्महंता करने की सोचते हो |

धिक्कार है तुम्हारी इस उदासी बहरी सोच को |

मेरा विश्वास रखो! तुम उदासी से छुटकारा पा सकते हो |

जीवन का वास्तविक सुख प्राप्त कर सकते हो |

जीवन भार-भूत नहीं होता है |

उससे बचा जा सकता है |

दुर्भाग्य अटल विधान नहीं होता है।

भाग्य पुरुषार्थ से बदला जा सकता है |

निष्क्रियता को सक्रियता में बदला जा सकता है |

निराशा को आशा में बदला जा सकता है |

तुम अपनी  घुटन और कायरता को छुपाने के लिए एकांत की तलाश करते हो |

अपने आप को व्यस्त रखो | उदासी तुम्हारे पास नहीं आ सकती |

मन में उमंग और प्रफुल्लता संजोये रखों | उदासी तुम्हारे पास नहीं आ सकती |

अपने स्वस्थ को ठीक रखो और दीर्घजीवन का आनंद उठाओ।

उदासी तुम्हारे पास फटके की भी नहीं |

उदासी का संबंध तुम्हारे मस्तिष्क और भावनाओं से होता है।

उदासी को अपने अंदर मत आने दो |

उठो! आज ही तुम उदासी से छुटकारा पा लोगे |

अपने अंदर उत्साह को भर जाने दो |

मन में आशा का दीपक जलाये रखो |

अपने साहस को जाग जाने दो |

हँसते-हँसाते दिन गुजारने की मनः स्थिति उत्पन्न करो।

विश्वास रखो! तुम उदासी से छुटकारा पा लोगे |

महँगी दवाइयाँ भी तुम्हारी उदासीनता का स्थायी समाधान न दे सके|

डॉ0 कैफ्लर के शब्दों में

कार्य की व्यस्तता,

खेलों के प्रति रुचि,

प्रेम भावना का विकास

एवं दैवी चेतना के प्रति, आदर्शों के प्रति आस्था

उदासी भरी व्यथा से मुक्ति पाने का सर्वोत्तम उपाय है।

यही जीवन दर्शन है, जो हमारे सद्ग्रंथों ने दिखाया है |

जो नीति वाक्यों, प्रेरणाप्रद सूत्रों के माध्यम से,

हमें अपनी संस्कृति में धरोहर के रूप में मिले है।

तुम अपना जीवन प्रसन्नता-पूर्वक कुँठाओं से मुक्त जियो |

तुम प्रगति के नए आयामों को प्राप्त करो |

उदास और मनहूस व्यक्ति को पसंद नहीं करता |

कौन उससे मित्रता करेगा?

हर व्यक्ति खिले हुए फूल के समान चेहरा पसंद करता है|

उसी से मित्रता करने का भाव मन में रहता है।

तुम यह जान लो! उदासी से दूर रहने वाले,

कभी भी मन में हीन भाव न रखने वाले,

सदैव समरसता से भरा हँसी खुशी भरा जीवन जीने वाले,

प्रगति के चरम लक्ष्य पर पहुँच पाते है।

यही विशुद्ध अध्यात्म है|

यही धर्म का व्यावहारिक स्वरूप है

उठो! आज ही तुम उदासी से छुटकारा पा लो|

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