क्या आप चुनौतियों को स्वीकार करना पसंद करते हैं? ~ Do you like to Accept Challenges? ~ Motivation

 क्या आप चुनौतियों को स्वीकार करना पसंद करते हैं?

क्या आप चुनौतियों को स्वीकार करना पसंद करते हैं? यदि नहीं तो जीवन में आने वाली चुनौती स्वीकार करना सीखिए |

कठिनाइयों से घिर गए तो क्या हुआ?

ये पल तो हर किसी के जीवन में कभी न कभी तो आते हैं।

हाँ समय थोड़ा-बहुत कम-ज्यादा हो सकता है।

कठिनाइयों को देख कर रोने-बिलखने मत लगो |

हार कर मत बैठो |

दोनों हाथों से माथा थामकर आलसी मत बनो |

ऐसा करना विपत्ति को १० गुना करने के समान है।

जीवन में कठिनाइयां तो आती ही रहेंगी |

यह मानकर तो चलना ही पड़ेगा |

धूप-छाँव की तरह सफलता और असफलताएं भी आती रहेंगी |

सुख’-सुविधाओं से भरा जीवन किसी का भी नहीं है |

ज्वार-भाटों की तरह परिस्थितियां आती ही रहती है |

और चली भी जाती है |

तुम किनारे पर बैठकर इस उतार-चढ़ाव का आनन्द लो |

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सदा दिन नहीं बना रहे रात कभी आए ही नहीं,

भला यह कैसे हो सकता हैं?

जन्मोत्सव ही मनाए जाते रहें,

मरण का रुदन सुनने को न मिले यह कैसे सम्भव हैं?

सुख की घड़ियाँ ही सामने रहें, दुःख के दिन कभी न आएँ

यह मानकर चलना यथार्थता की ओर से आंखें मूँद लेने के समान है।

बुद्धिमान वे हैं, जो सुखद परिस्थितियों का समुचित लाभ उठाते हैं

और दुःख की घड़ी आने पर उनका सामना करने के लिए आवश्यक शौर्य, साधन इकट्ठा करते हैं।

तुम्हें दुःख सिर्फ रुलाता ही नहीं है,

बल्कि कठिनाई का सामना करने के लिए साहस और शौर्य भी देती है |

धर्मराज युधिष्ठिर को भी शकुनि के कुचक्र में पड़ा था।

अपमान के अनेकों जहरीले घूँट पीने पड़े थे |

भाइयों सहित निर्वासित होना पड़ा।

लेकिन वनवास की अवधि उन्हें अलौकिक तप से सम्पन्न कर गयी।

अर्जुन ने प्रायः सभी दिव्यास्त्र इसी अवधि में प्राप्त किए।

कष्टों ने पाँचों भाइयों की संघर्ष क्षमता, साहस बढ़ा-चढ़ा दिया था |

जिससे कठिनाइयों का कुचक्र तार-तार होकर बिखर गया।

तुम भी जीवन में आने वाली चुनौती स्वीकार करना सीखिए |

अवरोधों से जूझने और संघर्षों के बीच अपना रास्ता बनाइये |

मनचाही सफलताएँ किसे मिली हैं?

मनोकामनाओं को सदा पूरी करते रहने वाला कल्पवृक्ष किसके आँगन में उगा है?

ऐसे तूफान आते ही रहते हैं,

जो बड़े अरमानों से सँजोये घोंसले को उड़ाकर कहीं से कहीं फेंक दें

और एक-एक तिनका बीनकर बनाए गए

उस घरौंदे का अस्तित्व ही आकाश में छितरा दें।

ऐसे अवसरों पर दुर्बल मनः स्थिति के लोग टूट जाते हैं।

यह सब अपने ढंग से चलता रहेगा,

पर तुम भीतर से मत टूटना,

इसी में तुम्हारा गौरव है |

चिरअतीत से समुद्र तट पर जमी हुई चट्टानें की तरह,

तुम भी कभी हार मत मानना |

तुम पलायन नहीं संघर्ष करो |

तुम बुज़दिली नहीं साहसी बनो |

तुम अकर्मण्यता नहीं शौर्य दिखाओ |

तुम रुदन के आँसू नहीं अभिमन्यु की प्रचण्डता दिखाओ |

तुम कायरों की तरह पीठ नहीं अर्जुन जैसा वीर बनो |

कठिनाइयों से घिरे हैं तो क्या हुआ?

न तुम्हें टूटना चाहिए और न हार माननी चाहिए।

परिस्थितियों के हर कुचक्र को पहले से दूने उत्साह से छिन्न-भिन्न कर दो |

नियति की चुनौती को स्वीकार करो |

उससे दो-दो हाथ करो |

यही तुम्हारे गौरव को स्थिर रख सकने वाला आचरण है।

अच्छा यही है कि घबराने की बजाय श्रेयस्कर जीवन जियो | 

जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करो|

 

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