हमेशा युवा बने रहने की इच्छा मत करो ~ Don't want to stay Young Forever ~ Motivation

 

हमेशा युवा बने रहने की इच्छा मत करो जितने दिन भी जीयें, शान के साथ जीयें

मनुष्य की स्थायी रूप से युवा बने रहने की इच्छा सदैव से रही है।

अपने यौवन को अक्षुण्ण बनाये रखना |

शारीरिक-मानसिक दृष्टि से सक्षम बने रहना |

और भौतिक जगत पर विजय प्राप्त करने की आकांक्षा,

प्रत्येक स्त्री और पुरुष में देखी जाती है।

किंतु यह एक-प्राकृतिक नियम है कि जिसका जनम होता है,

उसे एक दिन मृत्यु की गोद में भी अवश्य जाना पड़ता है,

साथ ही इससे पूर्व उसे कष्टों को झेलना पड़ता है।

प्रयत्न करने पर भी जरावस्था से बच पाना संभव नहीं है।

यदि तुम अपनी मानसिक प्रसन्नता और उत्साह को बनाये रखो |

तो तुम जीवन का पूरा-पूरा लाभ उठा सकते हो |

तुम महँगे टानिकों, औषधियों की खोजकर करके

चेहरे पर कृत्रिम तरुणाई उभारने का असफल प्रयत्न करते रहे हो |

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पर यदि तुम अपनी इंद्रियों पर संयम रखो|

तो तुम अनेकानेक बीमारियों से बच सकते हो |

समय से पूर्व ही मृत्यु के मुख में जैसे से बच सकते हो |

दीर्घायु प्राप्त करने अथवा हमेशा युवा बने रहने के लिए,

औषधियों का आँख मूँद कर उपयोग करना सही नहीं है |

समय की गति सभी के लिए समान है |

तुम्हें प्रत्येक क्षण का उपयोग सही से करना चाहिए |

समय को नष्ट नहीं करना चाहिए |

तुम्हें अपने समय को रचनात्मक कार्यों  में लगाना चाहिए |

यदि तुम अपनी दिनचर्या, मानसिक और तात्विक रूप से व्यवस्थित बना लो |

तो तुम किसी भी आयु में बाजी मार सकते हो।

शारीरिक आयु के आधार पर तुम कुछ नियम बना सकते हो।

शरीर के प्रति  तुम्हारा अवास्तविक मोह,

तुम्हें लम्बी आयु प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।

तुम बहुत दिन जीना चाहता है|

पर यह भूल जाता है कि

जराजीर्ण रुग्ण और भारभूत जीवन बहुत समय जीना|

अपने को और दूसरों को परेशान करने के अतिरिक्त

और कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं करता।

आत्मा अजर-अमर है

तुम इस मान्यता को अपना लो |

दीर्घजीवन का उद्देश्य आध्यात्मिक दृष्टि में किया जा सकता है।

पर शरीर के लिए यह असंभव है कि वह अजर या अमर बन सके।

प्रकृति नियमों का परिपालन करते हुए,

तुम जितने दिन जी सको, उसी में संतोष करना चाहिए।

तुम्हें ऊँचे और अच्छे कामों में व्यस्त रहना चाहिए |

ऐसा करके तुम सामान्य जीवन को भी बहुत लंबा बना सकते हैं।

आद्य शंकराचार्य ने छोटी सी आयु में कितने महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाए |

स्वामी विवेकानन्द को आप सभी जानते ही हो |

वह कितने थोड़े समय जीवित रहे |

फिर भी दुनिया में उनका काम आज भी जाना जाता है |

उस थोड़े से जीवन पर गर्व किया जा सकता है |

तुम्हें लम्बी जिंदगी प्राप्त करने की अपेक्षा,

जो आयु मिली है उस पर संतोष करना चाहिए |

जितने भी दिन जीयें शानदारी से जीयें

और इस तरह जियो की दूसरे लोगों के लिए,

तुम्हारा जीवन अनुकरणीय बन जाए |

तुम्हारा जीवन सराहनीय कहा जा सके |

जिसका उदाहरण दुनिया दे सके |

तुमको ऐसा ही जीवन जीना चाहिए |

तुम ऐसा जीवन जी के दिखाओगे |

इस में तुम्हारे जीवन की सार्थकता है |

 

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