औरतों के हिस्से में उसका इतवार नहीं आता

Itwar Nahi Aata 

औरतों के हिस्से में उसका इतवार नहीं आता 

|Hindi Kavita | Richa True Films |



Lyrics: Itwar Nahi Aata
उसका इतवार नहीं आता ।
छुट्टी तो आती है,
पर कोई आराम नहीं आता ।
क्यूँ औरत के हिस्से में,
उसका इतवार नहीं आता ।
देखो-देखो सुबह हो गई,
सरपट- सरपट भाग रही ।
सब तेरा ही तो है पगली,
ये सोच-सोच के नाच रही ।
फ़िर भी कोइ चूक हुई, तो सुनती
काम नही आता
क्यूँ औरत के हिस्से में,
उसका इतवार नहीं आता ।
एक अकेली नार यहाँ पर,
जाने क्या-क्या काम करे ।
उसका कुछ भुगतान करो तो,
शायद तुमको पता चले ।
घर की स्त्री को साहब, कोई व्यापार नहीं आता
क्यूँ औरत के हिस्से में, उसका इतवार नहीं आता
सोती है वो आखिर में,
और सबसे पहले जगती है ।
होती है वो पीड़ा में,
फ़िर भी देखो हँसती है ।
उसकी ही इच्छाओं का, क्यूँ तुमको ध्यान नही आता
क्यूँ औरत के हिस्से में, इसका इतवार नही आता ।

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