बात करने का हुनर - Talking Skills

बात करने का हुनर

क्या आप दूसरों के साथ आसानी से बातचीत शुरू कर पाते हैं | बातचीत करना भी एक कला है। यदि हमारी बोली प्रभावपूर्ण है तो यह दूसरों को स्वयं ही आकर्षित कर लेती है। बोलने की कला अच्छा व्यक्तित्व की पहचान होती है। जिस व्यक्ति में बोलने की कला होती है वो दुनिया के सामने अपनी बात को प्रभावी तरीके से पेश कर पाता है और उसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि दुनिया से उसे मनमाफिक परिणाम भी मिलने लगते हैं। आज हम बताने जा रहे है बात करने के विशेष नियम |

 


  1. जब आप लोगों से बात करते हैं, तो उनसे दोबारा मिलने की बुनियाद डालकर जाइए।
  2. बात करते समय अपनी आवाज को जरूरत से ज्यादा तेज या धीमा नहीं रखना चाहिए।
  3. जब सामनेवाला आपके सवाल का जवाब देता है, तो उसे ध्यान से सुनिए।
  4. किसी के मुंह से निकली बात का मजाक अन्य लोगों के सामने न उड़ाएं।
  5. एक-दूसरे की बात इधर से उधर न करें।
  6. बातचीत आगे बढ़ाने के लिए, दूसरे क्या सोचते हैं इसमें दिलचस्पी दिखाइए।
  7. ऐसी बात कहिए जिसमें सामनेवाले को भी दिलचस्पी हो |
  8. सामाजिक और अपने आसपास की समस्याओं के बारे में जानकारी रखिये |
  9. सोच-समझकर सवाल पूछिए, खासकर ऐसे सवाल जिनका जवाब देते वक्‍त वह अपनी राय ज़ाहिर कर सके।
  10. अच्छे मित्र चुनिए | सबसे अच्छा मित्र वही है जिससे अपना किसी तरह का सुधार हो या आनंद की व्रद्धि हो | यदि तुम साथियों से तुम कुछ लाभ नहीं उठा सकते या उनको कुछ लाभ नहीं पहुँचा सकते तो तुम उनका साथ छोड़ दो |
  11. अपने साथियों का स्वभाव का पूरा ज्ञान प्राप्त करो | यदि वे तुम से बड़े है तो तुम उनसे कुछ न कुछ पूछो और जो कहें उसे ध्यानपूर्वक सुनो | यदि छोटे है तो तुम उनको कुछ लाभ पहुँचाओ |
  12. अपने से बड़ों के लिए अपशब्द उनकी पीठ पीछे भी न कहें। भरी महफिल में किसी को शर्मिंदा ना करें।
  13. जब परस्पर की बातचीत नीरस हो रही हो तो तुम कोई ऐसा विषय छेड़ दो जिस पर सभी कुछ न कुछ बोल सकें और जिससे सभी मनुष्यों की आनंद व्रद्धि हो | परन्तु तब तक ऐसा करने के अधिकारी नहीं हो जब तक तुमने नया विषय आरम्भ करने के पहले कुछ न कुछ नये विषय का ज्ञान प्राप्त न कर लिया हो |
  14. बातचीत से ऐसी जानकारी बाँटने की कोशिश कीजिए जो आपको खासकर अच्छी लगी।
  15. जब कुछ नयी महत्वपूर्ण या शिक्षाप्रद बात कही जाय तब उसे अपने मेमोरी में फीड कर लो|
  16. बच्चों के सामने उनके टीचर्स व रिश्तेदारों के लिए अपशब्द न कहें।
  17. किसी भी समाज में अथवा साथियों के संग आते जाते पूरे मौन मत रहो | दूसरो को खुश करने और उन्हें शिक्षा देने का प्रयत्न अबश्य करे | जब कोई बोलता है तो आप भले ही चुप रहे, परन्तु जब सब चुप हो जाते है तब तुम सबो की शून्यता भंग करो | सब तुम्हारे आभारी होंगे |
  18. अपने पद की गरिमा बनाए रखें एवं ऐसी स्थिति से बचें कि आपसे छोटा व्यक्ति आपको जवाब दे जाए। अपने इलाके के अदब-कायदे का पालन कीजिए |
  19. किसी बात का निर्णय जल्दी मत करो, पहले उसके दोनों पक्षों का मनन कर लो | किसी भी बात को बार-बार मत कहो |
  20. अपनी बातचीत में महान व्यक्तियों के विचारों और घटनाओं का उल्लेख करना चाहिए |
  21. सच्चे दिल से सराहना कीजिए
  22. इस बात को अच्छी तरह से याद रखो कि तुम दूसरो की कमियों, दोषो को जिस द्रष्टि से देखते हो वे भी उसको उसी द्रष्टि से नहीं देखते | इसलिए समाज के सामने किसी वैयक्ति के दोषो पर स्वतंत्रतापूर्ण आरोप, कटाक्ष या कमेन्ट  करने का तुमको अधिकार नहीं है |
  23. बातचीत के दौरान तर्क वितर्क करे किन्तु बहस कभी न करे।
  24. बातचीत करते समय अपनी बुद्धिमानी दिखाने का व्यर्थ प्रयत्न  मत करो | यदि तुम बुद्धिमान हो तो तुम्हारी बातों से मालूम हो सकता है | यदि तुम प्रयत्न करके हमेशा अपनी बुद्धिमानी प्रकट करना चाहोगे तो सम्भवतय तुम्हारी बुद्धिहीनता अधिक प्रकट होती जाएगी | 
  25. नजर मिलाकर बात करने की आदत डाले, यह तुम्हारे आत्मविश्वास को प्रकट करता है।
  26. किसी की बात यदि तुम्हें अपमानजनक या गुस्ताखी पूर्ण लगे तो भी देर तक चुप रहने का प्रयत्न  करो | ऐसा भी हो सकता है कि  वह बात तुम्हारे स्वभाव के कारण तुम्हे खराब लग रही हो, परन्तु सब लोगो को अच्छी लग रही हो और यदि बात ऐसी ही हुई तो तुम्हें कुछ देर तक चुप रहने के लिए पछताना नहीं पड़ेगा, बल्कि धैर्य का एक नया पाठ सीखते जाओगे |
  27. बोलते समय जल्दबाजी न करें। तुम स्वयं स्वतंत्रता पूर्वक तथा सरलता पूर्वक बातचीत करो और दूसरो को भी ऐसा करने दो | अमूल्य शिक्षा को अल्प समय में प्राप्त करने का इससे बढ़कर साधन संसार में नहीं है |
  28. अपना स्वभाव हंसमुख रखें | दूसरों का ध्यान रखे और उनकी परवाह करे |

 

आत्म-विश्‍वासी और मिलनसार लोग दूसरों से बात करने में ज़रा भी नहीं कतराते, और-तो-और वे शायद ही किसी और को बोलने का मौका देते हैं। आप अपनी बातचीत करने का कौशल बढ़ाने की शुरूआत अपने घर से करें? घर के लोगों से हौसला बढ़ानेवाली बातचीत करने से काफी हद तक परिवार में खुशहाली बढ़ती है। जिसकी हम परवाह करते हैं, उससे हम बात करते हैं और जब वह कुछ कहना चाहता है, तो हम ध्यान से उसकी सुनते हैं। अगर आपने बोलने के हुनर को सीख लिया तो कामयाबी के शिखर तक पहुँच सकते हो |


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