महान् बनने वाले और साधारण व्यक्तियों में क्या अन्तर होता है | What Is the Difference between Those Who Become Great and Ordinary People |

महान् बनने वाले और साधारण व्यक्तियों में क्या अन्तर होता है | 

What Is the Difference between Those Who Become Great and Ordinary People |


महात्मा कन्फ्यूशियस ने कहा है- “महान् व्यक्ति जो चीज ढूँढ़ते हैं वह उन्हें अपने ही अन्दर मिलती है जब कि कमजोर दूसरों का मुँह ताका करते हैं।”

अपने ऊपर निर्भर रहकर ही मनुष्य जीवन में किसी सत्य का साक्षात्कार कर सकता है कुछ प्राप्त कर सकता है। अन्य लोगों को अपने से ही फुरसत नहीं। सचमुच दूसरों का मुँह ताकने वाले व्यक्ति को अपनी सफल
ता, आशा आकाँक्षाओं के लिए निराश ही रहना पड़े तो कोई नई बात नहीं। किसी भी क्षेत्र में सच्ची और स्थाई सफलता मनुष्य अपने ही प्रयत्नों से प्राप्त कर सकता है।

महान् बनने वाले और साधारण व्यक्तियों में यही अन्तर है कि एक अपनी शक्ति क्षमता पर भरोसा रखकर अपने बल पर जीवन यात्रा पूरी करता है। दूसरा अन्य लोगों का पिछलग्गू बनकर दूसरों का सहारा पकड़ता है। लेकिन परिणाम में महान् व्यक्ति जीवन की उच्च मंजिल तक पहुँच जाते हैं तो अन्य परावलम्बी लोग बीच में ही लटके रह जाते हैं। वे किधर के भी नहीं रहते।