जीवन में अकेले चलने की क्षमता पैदा करें । Create the ability to walk alone in life |

मनुष्य को दो प्रकार से शिक्षा मिलती है|

एक दूसरों के कहने सुनने, अथवा पुस्तकों के पढ़ने पर दूसरी शिक्षा मनुष्य स्वयं जीवन और जगत की खुली पुस्तक से, अपने अनुभवों से सीखता है। लेकिन दूसरे प्रकार की शिक्षा ही स्थायी और ठोस होती है। पहले प्रकार की शिक्षा केवल ऊपरी सहायता मात्र कर पाती है। यही कारण है कि आजकल ऊँची से ऊँची बातें कही जाती हैं पुस्तकों में पढ़ाई जाती हैं। लेकिन लोगों का उससे कोई विशेष भला नहीं होता। उन सबसे भी वही व्यक्ति लाभ उठा सकता है जो स्वयं निर्माण की बुद्धि का प्रयोग करता है। कई बार तो यह ऊपरी शिक्षा मनुष्य को भ्रम में डालने का कारण भी बन जाती है।

अस्तु चाहे व्यापार हो या शिक्षा उद्योग-आविष्कार उपार्जन के सभी क्षेत्रों में वही मनुष्य आगे बढ़ सकता है जिसमें अपने अकेलेपन को समझने, उसका प्रयोग करने की क्षमता होती है। जिसने अकेलेपन का रहस्य समझ लिया, वही आगे बढ़ेगा।

कभी आपने विचार किया है कि आपके अकेले में भी एक महान शक्ति निवास करती है ऐसी महान् शक्ति जो संसार को हिला सकती है। और इसी के बल पर अकेला व्यक्ति शक्तिमान, निर्द्वंद्व, रह सकता है। वह है आत्मा की शक्ति।

वेद के ऋषि ने कहा है - 
“अहमिन्द्रो न पराजिग्ये” मैं आत्मा हूँ मुझे कोई हरा नहीं सकता। “आत्मशक्ति पर विश्वास रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु भी नहीं डरा सकती।” 
“तमेव विद्वान् न विभाय मृत्योः।” “उस आत्मा को जान लेने पर मनुष्य मृत्यु से भी नहीं डरता।”

जीवन में अकेले चलने की क्षमता पैदा करें। 

क्योंकि एक न एक दिन आपको अकेले ही चलना होगा। कोई भी अपने कन्धों पर आपको मंजिल तक नहीं पहुंचा सकता। परावलम्बी,पराधीन, पिछलग्गू का भी कोई जीवन है? प्रकृति ने आपको स्वतन्त्र बुद्धि दी है, स्वतन्त्र शरीर दिया है। ऐसी शक्तियाँ दी हैं जो किसी दूसरे के सहारे काम नहीं करती। अपनी इन मौलिक शक्तियों, क्षमताओं का उपयोग कीजिए, स्वतन्त्र जीवन बिताइए, स्वावलम्बी बनिए। इसी में आपका गौरव है, शान है, आपका स्वत्व है।