प्रशंसा करना क्यों आवश्यक है - प्रेरणादायक वीडियो

Prashansa Karna Kyu Avashyak Hai | प्रशंसा क्या है?  कौन प्रशंसा का पात्र है? प्रशंसा किसकी और कैसे करनी चाहिए? सच्ची प्रशंसा व्यक्ति को सकारात्मक नजरिया प्रदान करती है| प्रशंसा के वचन साहस बढ़ाने में अचूक औषधि का काम देते है। सच्ची प्रशंसा अपने अच्छे वक्तित्व व सद्गुणों का आईना स्वम को दिखती है | कई दुर्गुण होते हुए भी यदि वयक्ति के सद्गुण नजर आने लगते है, तो वह अपने को सुधारने में लग जाता है | अगर वयक्ति योगय है तो उसे अपनी प्रशंशा अपने आप सुनाई देने लगती है | प्रशंसा की भूख जिसे लग जाती है, वह कभी तृप्त नहीं होता। सच्ची प्रशंसा करना सीखो, यह श्रेष्ठ गुण है।


Summary:
निंदा और प्रशंसा किसे कहते है?]
प्रशंसा  क्या है?
प्रशंसा एकांगी होती है |
यदि व्यक्ति प्रशंसा के योगे है तो उसकी प्रशंसा सुनाई देने लगती है |
सच्ची प्रशंसा व्यक्ति को सकारात्मक नजरिया प्रदान करती है|
महऋषि विश्वामित्र ब्रह्मऋषि बनना चाहते थे |
गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार : प्रशंसा अच्छाई की ही हो, यह जरूरी नहीं, बुराई की भी प्रशंसा होती है | 
वास्तव में प्रशंसा वयक्ति या वास्तु के गुणो  की होती है |
प्रशंसा एक ऐसा रस है जो मन को बहुत भाती है |
मनुष्य की दुर्बलता यह है कि प्रशंसा सुनने से उसका अहंकार पोषित होने लगता है |
सच्ची प्रशंसा से सभी को लाभ मिलता है |
झूठी प्रशंसा भी कभी कभी वयक्ति के भुझे मन में ऊर्जा की तरग पैदा करती है |

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