न्याय और परिश्रम की कमाई ही मनुष्य को सुख देती है | Vedon ka Divya Gyan | AtmaBal - 031 | Rigveda 2/13/13 |


 
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भावार्थ:

न्याय और परिश्रम की कमाई ही मनुष्य को सुख देती है, फलती फूलती और मन को प्रसन्न रखती है | इससे आत्मा निर्बल व पवित्र रहता है, पुरुष बढ़ता है और सत्कर्मों की प्रेरणा मिलती है | चोरी,छल व कपट से कमाया हुआ धन सदैव दुःख देता है |

 

सन्देश:

जीवन में धन के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता है | एक निश्चित सीमा के अंदर वह मनुष्य और समाज के विकास के लिए आवश्यक है, पर सीमा का अतिक्रमण होने पर अर्थ से अनर्थ बन जाता है | धन जब तक धर्म की सीमा में रहता है उसे अर्थ कहते है और अधर्म के क्षेत्र में पहुँचते ही वह अनर्थ बन जाता है |

 

यह सत्य है कि आज हम भौतिक विकास के जिस स्तर पर है वह अदुतीय है और इसका प्रमुख द्वार धन ही है | प्राचीनकाल में अध्यात्मवाद को ही प्राथमिकता दी जाती थी और अर्थोपार्जन दूसरे नंबर पर आता था | आज तो बिलकुल उल्टा चल रहा है | लोग धन कमाने के पीछे बुरी तरह से पागल हो रहे हैं और अध्यात्म को भूल गए है | पुजा पाठ का ढोंग या दिखवा करने तक का समय नहीं मिलता, वास्तविकता उपासना या साधना की तो बात ही छोड़ दें | भौतिकवाद ही समाज का जीवन दर्शन बन गया है |

 

अध्यात्म और भौतिकता दोनों ही समाज के लिए आवश्यक है और दोनों में उचित सामंजस्य व संतुलन भी होना चाहिए | प्राचीनकाल में कुछ लोग अध्यात्म को सर्वस्व मानते थे | आध्यात्म की एकपक्षीय प्रगति से समाज को कभी भी कोई हानि नहीं हुई | केवल मनुष्य कुछ भौतिक सुविधाओं के उपयोग से ही वंचित रहा | आज भटकता के एकांगी विकास से हित के स्थान पर अहित ही अधिक हुआ है |

 

वर्तमान अर्थव्यवस्था  नीति अनीति में भेद नहीं करती और वैध-अवैध किसी भी प्रकार से धन संग्रह पर बल देती है | यही सभी सांसारिक विपत्तियों का मूल कारण है |  तो हम भौतिक प्रगति की उपेक्षा कर सकते है और न ही आध्यात्मिकता को नकार सकते है | दोनों को मिलकर एक समन्वित दृष्टिकोण पैदा करना पड़ेगा | नैतिक और अनैतिक अर्थ-स्रोतों में स्पष्ट विभेद करना होगा | अवैध रूप से कमाए हुए धन की निंदा-भर्त्सना करनी होगी और न्याय मार्ग की सराहना |

 

उचित रूप से परिश्रमपूर्वक अर्जित धन मनुष्य को सुख, शांति व संतोष प्रदान करता है | उसके आत्मबल को बढ़ाता है | आत्मा को पवित्र, शुद्ध और  निर्मल बनता है | इसी से समाज में दिव्य वातावरण बनता है |

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