हमारा सच्चा मित्र कौन है? Who is our True Friend?

दोस्तों एक बात बताओ हमारा सच्चा मित्र कौन है? क्या सोचने लगे | बोलो मेरे भाई किसी भी इंसान को जिंदगी को ठीक तरह जीने के लिए एक ऐसे साथी की आवश्यकता रहती है, जो पूरे रास्ते उसके साथ रहे, उसे रास्ता बताए, उसे प्यार करे, उसे सलाह दे और उसे सहायता की शक्ति तथा भावना दोनों से ही संपन्न कर दे। 

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मित्रों यदि ऐसा साथी मिल जाए तो जिंदगी की लंबी मंजिल बड़ी हँसी−खुशी और सुविधा के साथ पूरी हो जाती है। अकेले चलने में यह लम्बा रास्ता भारी हो जाता है और कठिन भी प्रतीत होता है।

साथिओं एक ऐसा सबसे उपयुक्त साथी जो निरंतर मित्र, सखा, सेवक, गुरु, सहायक की तरह हर घड़ी प्रस्तुत रहे और बदले में कुछ भी न माँगे| सोचो क्या यह संभव है? हाँ ऐसा संभव है | केवल एक ईश्वर ही है जो हमारा सच्चा मित्र हो सकता है | मेरे भाई एक बार ईश्वर को अपने जीवन का मित्र बनाकर तो देखो | आपकी मंजिल इतनी मंगलमय हो जाएगी कि यह धरती ही स्वर्ग जैसी आनंदयुक्त प्रतीत होने लगेगी।


वैसे तो ईश्वर सबके साथ है और वह सबकी सहायता भी किया करता है, पर जो उसे समझते और देखते हैं, वास्तविक लाभ उन्हें ही मिल पाता है। किसी के घर में सोना गड़ा है और वह प्रतीत न हो तो गरीबी ही अनुभव होती रहेगी, किंतु यदि मालूम हो कि हमारे घर में इतना सोना है तो उसका भले ही उपयोग न किया जाए, मन में अमीरी का गर्व और विश्वास बना रहेगा। मेरे भाई, ईश्वर को भूले रहने पर हमें अकेलापन प्रतीत होता है, पर जब उसे अपने रोम−रोम में समाया हुआ, अजस्र प्रेम और सहयोग बरसाता हुआ अनुभव करते हैं तो साहस हजारों गुना अधिक हो जाता है। आशा और विश्वास से हृदय हर घड़ी भरा रहता है।

जिस इंसान ने ईश्वर को भुला रखा है, और अपने बलबूते पर ही सब कुछ करता है और सोचता है, उसे जिंदगी बहुत भारी प्रतीत होती है, इतना वजन उठाकर चलने में उसके पैर लड़खड़ाने लगते हैं। कठिनाइयाँ और आपत्तियाँ सामने आने पर भय और आशंका से कलेजा धक−धक करने लगता है। अपने साधनों में कमी दिखने पर भविष्य अंधकारमय प्रतीत होने लगता है; पर मेरे भाई जिस इंसान को ईश्वर पर विश्वास होता है, वह सदा यही अनुभव करेगा, कोई बड़ी शक्ति मेरे साथ है। जहाँ अपना बल थकेगा, वहाँ उसका बल मिलेगा। जहाँ अपने साधन कम पड़ रहे होंगे, वहाँ उसके साधन उपलब्ध होंगे। इस संसार में क्षण−क्षण पर प्राणघातक संकट और आपत्तियों के पर्वत मौजूद हैं, जो उनसे अब तक अपनी रक्षा करता रहा है, वह आगे क्यों न करेगा?

इसलिए मेरे भाई ईश्वर को अपना सच्चा मित्र बना लो |

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