गलतियों को स्वीकार करना कीजिए ~ Accept mistakes ~ Motivational Video in Hindi


अपनी mistake को स्वीकार कीजिए | अपनी Mistake स्वीकार करो | जब मनुष्य कोई Mistake कर बैठता है, तब उसे अपनी Mistake का भय लगता है। वह सोचने लगता है कि अगर मैं अपनी Mistakes को स्वीकार करूँगा तो सभी लोग मुझे अपराधी समझेंगे, लोग मुझे बुरा भला कहेंगे और गलती का दंड भुगतना पड़ेगा।  Mistake को स्वीकार करने से मनुष्य की महत्त्व कम नहीं है।

Summary:
अपनी भूल स्वीकार करो | जब मनुष्य कोई गलती कर बैठता है, तब उसे अपनी भूल का भय लगता है। वह सोचने लगता है कि अगर मैं अपनी गलतियों को स्वीकार करूँगा तो सभी लोग मुझे अपराधी समझेंगे, लोग मुझे बुरा भला कहेंगे और गलती का दंड भुगतना पड़ेगा। सामान्यतया: हम अपनी भूलों को उचित ठहराते हैं ताकि अपराध का बोध न हो। हम सोचता है कि इन सब झंझटों से बचने के लिए यह अच्छा है कि गलती को स्वीकार ही न करूँ, उसे किसी तरह छिपा लूँ या इसका दोष किसी दूसरे के सिर मढ़ दूँ।

इस विचारधारा से प्रेरित होकर काम करने वाले व्यक्ति भारी घाटे में रहते हैं। एक दोष छिपा लेने से बार- बार वैसा करने का साहस होता है और अनेक गलतियों को करने एवं छिपाने की आदत पड़ जाती है। तुमने जो भी किया है उसे स्वीकार करने की आदत डालिए | उसकी पूरी जिम्मेदारी लीजिए | दोषों के भार से आत्मा दिन-प्रतिदिन मैली , भद्दी और दूषित होती जाती है और अंततः: वह दोषों की, भूलों की खान बन जाता है। गलती करना उसके स्वभाव में शामिल हो जाता है।

भूल को स्वीकार करने से मनुष्य की महत्त्व कम नहीं होती वरन् उसके महान आध्यात्मिक साहस का पता चलता है।

गलती को मान लेना बहुत बड़ी बहादुरी का काम है। यदि तुम अपनी भूल को स्वीकार कर लेते हैं और भविष्य में वैसा न करने की प्रतिज्ञा करते हैं | तब आज धीरे-धीरे  सुधरते और आगे बढ़ते जाते हैं। भूल को सही साबित करने की बजाय उसे स्वीकार करो।
आप एक इंसान हैं और इंसान ही गलतियां करते हैं। अगर आप अपनी गलतियों को नहीं दोहराने का फैसला लेकर आगे बढ़ते हैं तो इसका मतलब यही है कि आप सही राह पर चल रहे हो। उन्हें स्वीकार कीजिए और आगे बढ़िए। गलती को मान लेना और उसे सुधारना, यही आत्मोन्नति का सन्मार्ग है। अगर सच में अपनी गलतियों से सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले गलतियां स्वीकार करना सीखें | ऐसा करना सीखने की ओर पहला कदम होगा | यह कहा जाता है कि ख़ुद की गलतियां जीवन में सबसे बड़ी शिक्षक होती हैं। तुम चाहो, तो अपनी गलती स्वीकार कर निर्भय, परम निशंक बन सकते हो।

चार्ल्स काल्टन के अनुसार, ‘अनुभव को ख़रीदने की तुलना में उसे दूसरों से मांग लेना अधिक अच्छा है।’ वैसे भी हर बार ख़ुद ग़लती करके सीखने के लिए तो पूरी ज़िंदगी ही कम है। यानी स्वयं ग़लतियां करने से बचने के लिए हमें औरों के अनुभव से भी सीखना चाहिए।

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