क्या भगवान ने हमें कुछ नहीं दिया? ~ Did God not give us Anything? ~ Motivation Hindi

 

दोस्तों आजकल मैंने बहुत से लोगों को कहते हुए सुना है कि भगवान ने हमें कुछ नहीं दिया है | हमें गरीब बनाया हैं | ऐसी न जाने कितनी बाते बोलते है |

मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूँ कि जो भी भगवान ने तुम्हें दिया है क्या यह भी कुछ कम है? अच्छी खासी नौकरी है तुम्हारी, अच्छी खासी पत्नी दी है, चार पांच बच्चे है तुम्हारे, खाने के लिए भर पेट मिल रहा है, सर पे छत दे राखी है और क्या लोगे मेरे भाई | और क्या ऐयाशी करोगे |   

जितना कुछ आज तुम्हें मिला हुआ है, यदि विचार करें तो वह किसी भी प्रकार कम नहीं है, वरन ऐसा प्रतीत होगा कि परमात्मा ने बहुत पहले ही आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुत कुछ हमें दे रखा है और वह इतना पर्याप्त है कि उस पर गर्व और संतोष अनुभव किया जा सकता है।

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मेरे भाई अपने से नीची परिस्थितियों में पड़े हुए करोड़ों मनुष्य ऐसे होंगे, जिन्हें यदि हमारे जैसा अवसर मिल जाए तो वे इसे अपना भारी सौभाग्य समझें। असंख्य अस्वस्थ एवं पीड़ाग्रस्त मनुष्यों की तुलना में क्या हमारा काम-चलाऊ स्वास्थ्य वाला शरीर कुछ अधिक बुरा है? कोढ़ी, अंधे, अपाहिज, गूँगे, बहरे लोगों की तुलना में क्या अपना अच्छा खासा शरीर कुछ कम है?

रोज कुआँ खोदने, रोज पानी पीने वाले असंख्य मनुष्य ऐसे हैं, जिनकी आजीविका सर्वथा अनिश्चित रहती है और किसी दिन फाका, किसी दिन अधपेट रहना पड़ता है, क्या उनकी तुलना में हमारे आजीविका स्रोत अच्छे नहीं हैं?

जिनका गृहस्थ है ही नहीं, है तो घोर कलह और अविश्वास से भरा हुआ है, उनकी तुलना में कुछ त्रुटियाँ रहते हुए भी क्या हमारा परिवार अधिक गया-बीता है?

जिनने सामाजिक सम्मान और नागरिक अधिकार अनुभव भी नहीं किया, उन पिछड़े लोगों की तुलना में जो जन्मजात सुविधाएँ हमें मिली हुई हैं, वे कुछ कम हैं?

पशु−पक्षी, कीट-पतंग, जीव−जंतु जिन्हें बोलने, पढ़ने, सोचने, खाने, सोने, रहने, पहनने, कमाने आदि की कोई सुविधा प्राप्त नहीं है, उनकी तुलना में हमारा मनुष्य जीवन क्या कहीं उत्कृष्ट स्थिति में नहीं है?

मेरे भाई इन प्रश्नों पर विचार करने से प्रतीत होता है कि परमात्मा ने जो कुछ हमें दिया है, वह बहुत है, दूसरों की तुलना में कहीं ज्यादा है और इतना है कि उसके आधार पर हँसी−खुशी का जीवन सुविधापूर्वक बिताया जा सकता है।

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