दोस्तों क्या आप जानते है कि दूसरों की बातों का भी हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता है | एक वाकया याद आता है थोड़ा ध्यान से सुनो मेरे भाई तुम सब समझ जाओगे | एक बार कुछ चालाक लड़कों ने छुट्टी पाने के लिए षड़यन्त्र रचा कि मास्टर को बीमार बनाया जाय और छुट्टी होने पर मस्ती की जाय। आप में से किस-किस ने किया है बोलो भाई चुप क्यों हो गए?
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उनमें से एक ने मास्टर के पास जाकर गम्भीरता से कहा−‛गुरुजी आप बीमार मालूम पड़ते हैं।’ मास्टर जी ने उसे आंखे दिखाई और उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। कुछ देर के बाद दूसरे लड़के ने उनके पास जाकर चिन्ता व्यक्त की—‛आज तो आपका चेहरा बहुत उदास लग रहा है, आँखें लाल भी हो रही हैं और मुझे तो यह बीमारी जैसे लक्षण प्रतीत होते हैं।’ इसी प्रकार एक−एक करके और लड़के भी आये और उनने भी ऐसा ही कुछ न कुछ बात दुहराई। मेरे भाई सोचो क्या बीती होगी उसके ऊपर जब सभी बच्चे उसे बीमार कह रहे होंगे | बेचारे मास्टर के मन पर उनकी छाप पड़ी और वह सचमुच ही अपने आपको बीमार अनुभव करने लगा। और स्कूल की छुट्टी करके घर चला गया। लड़कों ने अपनी चालाकी से मनोरथ पूरा कर लिया।
दोस्तों आजकल भी तुम्हारे आसपास या कुछ पॉलिटिशियन या कुछ टीवी चैनल भी ऐसा ही करते है उनसे जरा सावधान रहने की जरूरत है तुमको भी |
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