क्या विश्वास में भी शक्ति होती है? ~ Does Faith also have Power? ~ Motivation Hindi

दोस्तों क्या विश्वास में भी शक्ति होती है? इसी प्रश्न का हल ढूँढ़ने के लिए जर्मनी के एक वैज्ञानिक ने दूसरों की बात का मनुष्य के मन पर किस हद तक बुरा प्रभाव पड़ सकता है इसका परीक्षण करने के लिए एक मृत्यु दण्ड वाले कैदी को प्राप्त किया और उसे विश्वास की शक्ति द्वारा मार डालने का प्रयोग किया। कैदी को एक मेज पर लिटा दिया गया। आँखों पर पट्टी बाँध दी गई। गले के पास एक जरा सी पिन चुभो दी गई। पानी की एक हलकी धारा गले को छूती हुई बहती रहे ऐसी नली सटा दी गई। नीचे टपकने वाले पानी को इकट्ठा करने के लिए एक बाल्टी रखी गई। कैदी को कहा गया कि उसके रक्त की एक आवश्यक कार्य के लिए जरूरत है, इसलिए मृत्यु दण्ड की यह व्यवस्था की गई है कि कष्ट भी कम हो, सारा रक्त निकल जाने से मृत्यु भी हो जाय और आवश्यक कार्य के लिए रक्त भी प्राप्त हो जाय। इसलिए वह चुपचाप लेटा रहे कुछ ही देर में उसकी मृत्यु शान्तिपूर्वक हो जायगी।

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कैदी ने वैज्ञानिक की बात पर विश्वास कर लिया। गले के पास से नली द्वारा बहते हुए और नीचे बाल्टी में टपकते हुए पानी को वह अपना रक्त समझने लगा। डाक्टर लोग बार-बार उसकी नाड़ी देखते और झूठ-मूठ यह कहते कि इसका रक्त निकल चुका अब इतना और रहा है, इतनी देर में बेहोशी आने वाली है और इतनी देर में मृत्यु हो जायगी। कैदी डाक्टरों के कथन पर विश्वास करता गया अतः ठीक समय पर उसकी मृत्यु हो गई। तब वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि विश्वास के आधार पर किसी व्यक्ति को इतना प्रभावित किया जा सकता है कि उसकी मृत्यु तक हो जाय।

पंचतंत्र में एक कथा आती है कि एक व्यक्ति अपने कंधे पर बकरी लादे कहीं जा रहा था। ठगों ने उसे बहका कर बकरी प्राप्त करने का षडयंत्र बनाया। रास्ते में सब ठग दूर−दूर बिखर गये। एक ठग रास्ते में उस व्यक्ति को मिला, उसने कहा, “कंधे पर कुत्ता रख कर कहाँ लिये जा रहे हो?” पथिक ने उत्तर दिया, यह तो बकरी है।’ ठग ने कहा−किसी जादूगर ने तुम्हें भ्रमित करके बकरी के बदले कुत्ता दे दिया मालूम पड़ता है। यदि तुम्हें संदेह हो तो आगे रास्ते में मिलने वाले यात्रियों से पूछना। पथिक के मन में संदेह उत्पन्न हो गया। उसने कुछ दूर पर मिले यात्री से पूछा। मेरे कंधे पर क्या है? उस यात्री वेशी ठग ने पूर्व निश्चित षडयंत्र के अनुसार उत्तर दिया−कुत्ता। अब तो उसका संदेह और भी बढ़ा और सोचने लगा सचमुच मुझे जादू से भ्रमित करके बकरी के बदले कुत्ता दे दिया गया है। आगे कुछ−कुछ दूरी पर दूसरे और दो ठग मिले। उनसे पूछा तो उनने भी बकरी को कुत्ता बताया। अन्त में पथिक को विश्वास हो गया कि यह बकरी नहीं कुत्ता है। अन्ततः वह उसे रास्ते में ही छोड़कर चल दिया। ठगों ने वह छोड़ी हुई बकरी प्राप्त कर ली और अपनी मनोवैज्ञानिक चतुरता का लाभ उठाया।

दोस्तों इस आधार पर कहा जा सकता है कि हमारे विश्वास का हमारे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ता है |

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