मुसीबत की आशंकाओं से डरो मत ~ Don't be Afraid of Trouble ~ Motivation Hindi

 

मेरे भाई क्या तुम आशंकाओं में जी रहे हो ? क्या तुम कल की चिन्ताओं में डूबे पड़े हो ? तुम मुसीबत की आशंकाओं से डरो मत | भविष्य में जिन आपत्तियों के आने की तुम  आशंकाएँ कर रहे हो वास्तव में उनमें से एक-चौथाई भी आपके सामने आने वाली नहीं है | और जो आएंगी वह वैसी भयंकर नहीं होंगी, जैसी कि तुम डरते हुए कल्पना कर रहे हो । मित्रों इस बात को सदा याद रखना, कठिनाई देने वाला उसके समाधान का मार्ग भी सुझाता है। दर्द देने वाला उसकी दवा भी देता है।

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मेरे भाई ईश्वर पर विश्वास रखों जिसने तुम्हें पैदा किया है | इस दुनिया में तुम्हारे लिए सबकुछ दिया है | ईश्वर किसी को भी असहाय नहीं छोड़ता वह विपत्ति में भी साथ रहता है। माता छोटे बच्चे को नदी में स्नान कराते समय मजबूती से पकड़े भी रहती है कि कहीं वह डूब या बह न जाए। साथियों ईश्वर कठिनाइयों भरा नदीस्नान तो कराता है, पर हम में से किसी भी बालक का हाथ नहीं छोड़ता। कठिन समय में भी उसका सहारा मिलता रहता है। अंधेरे में भी उसका प्रकाश चमकता रहता है।

 


मेरे भाई उसके बताये हुए मार्ग पर चलो | उसकी दी गई नासियतों का पालन करों | तुम हर काम में पूरी−पूरी सावधानी का पालन करों, तुम मुस्तैद होकर रहो और तुम सतर्कतापूर्वक अपने कर्त्तव्य का ठीक−ठीक पालन करते रहें | मेरे भाई पर साथ ही यह भी ध्यान रखो कि यहाँ ऐसा महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, जिसके लिए तुम चिंतित, परेशान, उद्विग्न और निराश हों। पतंग की डोरी की तरह परिस्थितियाँ उलझती भी रहती हैं और सुलझती भी। रात के बाद दिन निकलता है, मौत के बाद जीवन मिलता है, निद्रा के बाद जागृति आती है।

मित्रों फिर हम आशा का सूत्र क्यों तोड़ें? हिम्मत क्यों हारें? दिल क्यों टूटने दें? संपदा में भी जो रोते खीझते रहते हैं, उनकी अपेक्षा वे अधिक बुद्धिमान हैं जो विपदा में भी मुस्कराना जानते हैं। परिस्थितियाँ जिन्हें दबा डालती हैं, जिन्हें तोड़ देती हैं, वे कमजोर मनुष्य दीन−दुर्बल और दया के पात्र ही समझे जा सकते हैं। धीर और वीर वे हैं, जो निडर रहते हैं, हिम्मत नहीं छोड़ते, अधीर नहीं होते और हर कठिनाई का हँसते−मुस्कराते स्वागत करते हैं।

तुम टूट जाने वाले कच्ची मिट्टी के खिलौने क्यों बन रहे हो ? तुम लोहे को घन क्यों नहीं बन सकते, जो निरंतर चोटें पड़ते रहने पर भी अविचल बना रहता है। जिसके माथे पर शिकन भी नहीं आती है । मेरे भाई कठिनाई बेशक बड़ी होती हैं, पर मनुष्य की आत्मा उससे बड़ी है। पर इस बात को याद रखो धैर्यवान इंसान समुद्र को लाँघते और असंभव को संभव बनाते हैं।

 

जरा−जरा-सी कठिनाइयाँ तुम्हें डराती है, जरा−जरा-सी कठिनाइयाँ तुम्हें व्याकुल करने लगती है, जरा−जरा-सी कठिनाइयाँ से तुम बोखला जाते हो, नासमझों की तरह काम करने लगते हों | यह स्थिति खेदजनक ही मानी जाएगी, मानव जीवन के अनुपयुक्त भी। जिंदगी सचमुच एक खेलमात्र है, जिसमें जीता और हार चलती ही रहती है, उसे खेल की तरह ही जिया जाना चाहिए।

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