Anxiety Ko Kaise Dur Kare | 5 Rules |

नमस्कार दोस्तों, आज मैं बताने जा रहा हूँ, Anxiety यानी चिंता को दूर कैसे करें |

(1) चिंता से दूर रहने के लिए सबसे पहले जब भी तुम कोई काम शुरू करे तो इस बात पर विचार कर लो की इस कार्य में अधिक से अधिक हानि कितनी हो सकती है | प्रायः लाभ की ही बात सोच कर मनुष्य काम करता है पर यह भी समझ लेना चाहिए कि उसे दुख और चिन्ता तभी होती है जब लाभ नहीं मिलता। इसलिए कोई काम करके हमें लाभ की बड़ी-बड़ी आशा न करके बड़ी से बड़ी हानि की सम्भावना पर ध्यान कर लेना उचित है। कम से कम जीवन के व्यावसायिक कार्यों में यह दृष्टिकोण मनुष्य में निर्भीकता की अभिवृद्धि करता है। परोक्ष रूप से उसका प्रभाव यह पड़ता है कि निडरता से काम होने के कारण लाभ ही होता है और लाभ के अभाव में चिंता नहीं होती।

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(2) दूसरा यह कि अगर हानि या हार ही सुनिश्चित है तो उसको सहने के लिए तैयार रहो- यह मानना ही पड़ेगा कि कुछ काम ऐसे होते हैं जिनमें हानि से नहीं बचा जा सकता। यदि हानि होती है या हार होती है तो उसे सहन करना उचित है। इससे शक्ति बढ़ती है, हानि से ज्ञान बढ़ता है और अपनी कमजोरी का परिचय मिल जाता है। इसलिए उसे सह कर प्रयत्न करते रहना ही ठीक है।

(3) तीसरा अपने पास जो भी साधन हैं उन्नति के लिये वही काफी हैं- अपने पास यदि थोड़ा ही धन है या थोड़ी ही योग्यता है तो उस कमी का रोना रोते रहना उचित नहीं। कहा भी गया है- सिद्धि की प्राप्ति शक्ति से होती है, साधनों से नहीं। साधनविहीन व्यक्तियों ने ही संसार में क्रान्तियाँ की हैं।

(4) चौथा खाली मत बैठो- कहा गया है खाली दिमाग शैतान का घर। जैसे किसी स्थान पर हवा बिल्कुल न रहे तो दूसरी जगह से हवा दौड़ कर उस स्थान को भर देती है। इसी तरह मस्तिष्क कभी बेकार नहीं रहता। उस में यदि शुभ विचार और संकल्प नहीं हैं तो बुरे विचार ही उस में अपना स्थान बना लेंगे। इसके अतिरिक्त अपने शरीर को भी काम में लगाये रहता है तो विचार कम आते हैं। यदि आप दौड़ रहे हों या तैर रहे हो तो क्या विचार कर सकते हैं? व्यावहारिक मनोविज्ञान के प्रसिद्ध विद्वान विलियम जेम्स ने कहा है कि ‘ऐसा जान पड़ता है कि हमारे मनोभावों के अनुरूप कार्य होते हैं पर वास्तव में भाव और क्रिया एक दूसरे पर आश्रित हैं और अपनी क्रियाओं का संयोजन करके जो हमारे वश की बात है, हम परोक्ष रूप से अपने मनोभावों को वश में कर सकते हैं जिन पर काबू पाना अत्यधिक कठिन है। इसलिए किसी न किसी काम में लगे रहने पर चिन्ता दूर ही रहती है।

(5) पांचवां सोचो- हम सबसे अधिक सुखी हैं- अगर तुम क्लर्क हो, तो डायरेक्टर की पदवी का सोच करके दुखी मत हो। तुम्हें यह संतोष करना चाहिए कि दूसरे चपरासी हैं। उनसे तुम अवश्य सुखी ज्यादा हो। इस प्रकार के विचारों से मन में सुख की भावना को स्थान दो। यदि प्रत्येक वस्तु में तुम चाहो तो सौंदर्य और गुण देख सकते हो।

जेम्स ऐलेन ने ठीक बताया है कि जैसे ही मनुष्य अन्य लोगों या वस्तुओं के प्रति अपने विचारों को बदल देता है, वे लोग और वस्तुएं भी उसके लिए बदल जाती हैं।

यह है चिंता निवारण के कुछ स्वर्णिम नियम।

 

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