क्या बिना शक्ति के कुछ नहीं मिलता है? Is There Nothing Without Power?

 

नमस्कार दोस्तों, एक महात्मा का कथन है-" सत्य ही शक्ति है, दूसरे अर्थों में समझा जाये तो शक्ति ही सत्य है।" अविद्या और अनाचार का नाश सत्य के प्रकाश के द्वारा ही हो सकता है । शक्ति एक तत्त्व है जिसको आह्वान करके जीवन के विभिन्न विभागों में भरा जा सकता है और उसी अंग में तेज एवं सौंदर्य का दर्शन किया जा सकता है ।

मित्रों, शरीर में शक्ति का आविर्भाव होने पर देह कुंदन जैसी चमकदार, हथौड़े जैसी गढ़ी हुई, चंदन जैसी सुगंधित एवं अष्ट धातु सी नीरोग बन जाती है । बलवान शरीर का सौंदर्य देखते ही बनता है ।

मन में शक्ति का उदय होने पर साधारण से मनुष्य कोलंबस, लेनिन, गांधी, सनयातसेन जैसी हस्ती बन जाते हैं और ईसा, बुद्ध, राम, कृष्ण, मुहम्मद के समान असाधारण कार्य अपने मामूली शरीरों के द्वारा ही करके दिखा देते हैं ।

बौद्धिक बल की जरा सी चिनगारियाँ बड़े-बड़े तत्त्वज्ञानों की रचना करती है और वर्तमान युग के वैज्ञानिक आविष्कारों की भाँति चमत्कारिक वस्तुओं के अनेकानेक निर्माण कर डालती है । अधिक बल का थोड़ा सा प्रसाद हमारे आस-पास चकाचौंध उत्पन्न कर देता है । जिन सुख-साधनों के स्वर्गलोक में होने की कल्पना की गई है, पैसे के बल से वे इस लोक में भी प्रत्यक्ष देखे जा सकते हैं |


मेरे भाई संगठन बल के बारे में क्या कहूँ ! वह तो गजब की चीज है । 'एक और एक मिलकर ग्यारह' हो जाने की कहावत पूरी सच्चाई से भरी हुई है । दो व्यक्ति यदि सच्चे दिल से मिल जाएँ तो उनकी शक्ति ग्यारह गुनी हो जाती है । सच्चे कर्मवीर थोड़ी संख्या में भी आपस में मिलकर काम करें तो वे आश्चर्यजनक काम कर सकते हैं । कलियुग में तो संघ को ही शक्ति कहा गया है । निस्संदेह गुटबंदी, गिरोहबंदी, एका, मेल, संगठन एक जादू है, जिसके द्वारा संबंधित सभी व्यक्ति एक दूसरे को कुछ देते हैं और उस आदान-प्रदान से उनमें से हर एक को बल मिलता है । इसलिए मेरे भाई हमेशा संगठन में रहने का पालन करें | अपनी अपनी ही न चलाएं सबके बारे में सोचें |

मेरे भाई तुम्हें यह जानकार हैरानी होगी कि आत्मा की मुक्ति भी ज्ञान, शक्ति एवं साधना की शक्तियों से ही होती है । आलसी और निर्बल मन वाला व्यक्ति अपनी आत्मा का भी उद्धार नहीं कर सकता है और न ईश्वर को ही प्राप्त कर सकता है । इसलिए मेरे भाई शक्ति की उपासना करों | हर जीवन के हर क्षेत्र में शक्तिशाली बनो | चाहे वो ज्ञान की शक्ति हो,चाहे वो धन की शक्ति हो, चाहे वो सत्ता की शक्ति हो, चाहे वो समाज की शक्ति हो,  चाहे वो शरीर की शक्ति हो, समझ रहे हो मेरे भाई |

असमर्थ मनुष्य तो दुःख-द्वंद्वों में ही पड़े-पड़े बिलबिलाते रहते है | और वह कभी भाग्य को दोष देते है, कभी वह ईश्वर को दोष देते है, कभी दुनिया को दोष देते हुए झूठी विडंबना करते रहते है । जो व्यक्ति किसी भी दिशा में महत्त्व प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि अपने इच्छित मार्ग के लिए शक्ति को प्राप्त करें ।

मेरे भाई शक्ति को प्राप्त करने के दो ही साधन है | पहला सच्ची लगन और दूसरा निरंतर प्रयत्न  करते रहना |

इसलिए आपने अपना जो भी कार्यक्रम बनाया हो, जो भी जीवन का उदेश्य बनाया हो, उसे पूरा करने में जीजान से जुट जाइए । सोते- जागते उसी के संबंध में सोच-विचार करते रहिए और आगे का रास्ता तलाश करते रहिए । परिश्रम! परिश्रम! परिश्रम! और परिश्रम!! आपकी आदत में शामिल होना चाहिए, मत सोचिए कि अधिक काम करने से आप थक जाएंगे । वास्तव में परिश्रम एक स्वयं चालक शक्ति है, अपनी बढ़ती हुई गति के अनुसार कार्यक्षमता उत्पन्न कर लेती है । उदासीन, आलसी और निकम्मे व्यक्ति दो घंटा काम करके एक पर्वत पार कर लेने की थकान अनुभव करता है, किंतु उत्साही, उद्यमी और अपने कार्य में दिलचस्पी लेने वाले व्यक्ति सोने के समय को छोड्कर अन्य सारे समय लगे रहते हैं और जरा भी नहीं थकते । सच्ची लगन, दिलचस्पी, रुचि और झुकाव एक प्रकार का डायनुमा है, जो काम करने के लिए क्षमता की विद्युत शक्ति हर घड़ी उत्पन्न करता रहता है ।

मेरे भाई इस बात को हमेशा याद रखिए कि आपका कोई भी मनोरथ क्यों न हो, शक्ति द्वारा ही पूरा हो सकता है । इधर-उधर बगलें झांकने से कुछ भी प्रयोजन सिद्ध नहीं होगा, दूसरों के सहारे सिर भिगोने पर तो निराशा ही हाथ लगती है । अपने प्रिय विषय में सफल होने के लिए अपने पाँवों पर उठ खड़े हो जाएं, उसमें सच्ची लगन और दिलचस्पी पैदा कीजिए एवं मशीन की तरह जी तोड़ परिश्रम के साथ काम में जुट जाइए, शक्ति की देवी आपके साहस की बार-बार परीक्षा लेगी, बार-बार असफलता और निराशा की अग्नि में तपायेगी, असली- नकली की जांच करेगी ।

मेरे भाई यदि आप कष्ट, कठिनाई, असफलता, निराशा, विलंब आदि की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए तो वह प्रसन्न होकर प्रकट होगी और इच्छित वरदान ही नहीं, वरन उससे भी कई गुना फल प्रदान करेगी ।

एक बार, दो बार नहीं, हजार बार इस बात को गिरह बाँध लीजिए कि शक्ति के बिना मुक्ति नहीं।' दुःख-दारिद्र की गुलामी से छुटकारा शक्ति- उपार्जन किए बिना कदापि नहीं हो सकता । आप अपने लिए कल्याण चाहते हैं तो उठिए, शक्ति को बढ़ाइए, बलवान बनिए, अपने अंदर लगन, कर्मण्यता और आत्मविश्वास पैदा कीजिए, तब आप अपनी सहायता खुद करेंगे तो ईश्वर भी आपकी सहायता करने के लिए दौड़ा-दौड़ा आएगा

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