क्या हमें हँसमुख और सन्तुष्ट रहना चाहिए? ~ Should we be Cheerful and Content? ~ Motivation Hindi

दोस्तों हमें सदा हँसमुख और सन्तुष्ट रहना चाहिए | इस संसार का यह नियम है कि जो व्यक्ति हँसमुख, आशावादी, उत्साही और संतुष्ट होता है, उस व्यक्ति के पीछे-पीछे लोग फिर करते है। क्योंकि हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ दुःख और चिंता छिपाए बैठा रहता है, वह अपना मन हलका करने के लिए ऐसा सहारा ढूँढ़ता है, जहाँ उसके घावों को कुरेदा न जाए, मरहम लगे।

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मनोरंजन के लिए लोग इसीलिए अपना बहुत-सा समय और धन खर्च करते हैं। सिनेमा, खेल, तमाशे, सैर, यात्रा आदि मनोरंजनों की आवश्यकता इसी दृष्टि से मानी जाती है। उनके दूसरे लाभ भी हो सकते हैं पर प्रधान उद्देश्य यही रहता है। यही आवश्यकता लोग उस व्यक्ति से पूरी करना चाहते हैं जो संतुष्ट और प्रसन्न दीखता है। खिले हुए गुलाब के चारों ओर भौंरे इसलिए मंडराते रहते हैं, क्योंकि फूल अपने आप में सर्वांगपूर्ण, विकसित, प्रसन्न और सफल दिखाई देता है। सूखे, मुरझाए, कुचले हुए और सड़े-गले फूल पर भौंरा तो क्या, कोई मक्खी भी नहीं बैठती, उसे उपेक्षा, उपहास और तिरस्कार के गर्त्त में फेंक दिया जाता है। इसलिए मेरे भाई सदा हँसमुख रहिये |

मुँह फुलाए, रूठे बैठे रहने वाले और चिड़चिड़ाते-बड़बड़ाते रहने वाले नर−नारी अपने समीपवर्ती लोगों की सहानुभूति खो बैठते हैं। उनसे सब लोग डरने और कतराने लगते हैं। चेचक और हैजा के रोगी से सब कोई अपना बचाव करते हैं कि कहीं यह छूत हमें भी न लग जाए। असंतुष्ट और खिन्न मनुष्य से झूठी सहानुभूति कोई भले ही प्रकट कर दे, वस्तुतः मन-ही-मन उससे घृणा करते हैं और बचने की कोशिश करते हैं। कुढ़ने वाले व्यक्ति की कष्टकथा सुनकर कौन आदमी अपने दुःख को बढ़ाना चाहेगा?

यहाँ तो सबको मनोरंजन की चाह है, हँसमुख और प्रसन्नमुख व्यक्ति की तलाश है। उसके समीप रहकर लोग अपना मनोरंजन करना चाहते हैं। मनहूस-सी शक्ल बनाए बैठे रहने वाले और दुःख-दुर्भाग्य का रोना रोते रहने वाले लोगों के पास अपना मन क्षुब्ध करने के लिए भला कौन तैयार होगा?

संत और महापुरुषों की बात दूसरी है, वे दुखियों के लिए अपना प्राण भी दे सकते हैं, पर सामान्य लोग तो उनसे बचने की ही कोशिश करेंगे।

इसलिए मेरे भाई सदा हँसमुख और सन्तुष्ट रहना सीखिए |

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