क्या इच्छा शक्ति में प्रचण्ड क्षमता होती है? ~ Does Will Power Have Great Potential? ~ Motivation Hindi

 

जीवन की सफलता-असफलता, उन्नति-अवनति, उत्थान-पतन सब मनुष्य की इच्छाशक्ति की सबलता और निर्बलता के ही परिणाम हैं। जिसकी इच्छा शक्ति  मजबूत होती है उन्हें अभद्र विचार, कुकल्पनायें, भयानक परिस्थितियाँ उलझने भी विचलित नहीं कर पाती है। ऐसे व्यक्ति अपने निश्चय पर दृढ़ रहते हैं। उनके विचार स्थिर और निश्चित होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने विचारों को बार-बार नहीं बदलते।

जिनकी इच्छाशक्ति मजबूत होती है उन्हें शारीरिक कष्ट भी अस्थिर नहीं कर सकते है। ऐसे व्यक्ति हर परिस्थितियों में अपना रास्ता निकाल कर आगे बढ़ते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने व्यक्तिगत हानि लाभ से भी प्रभावित नहीं होते है।

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दृढ़ इच्छाशक्ति तुम्हारे मन का वह किला है जिसमें किसी भी बाह्य परिस्थिति, कल्पना, कुविचारों का प्रभाव नहीं हो सकता। दृढ़ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति जीवन के भयंकर झंझावातों में भी चट्टान की तरह अटल और स्थिर रहता है। ऐसा मनुष्य सदैव प्रसन्न और शान्त रहता है। जीवन का सुख स्वास्थ्य, सौंदर्य, प्रसन्नता, शान्ति उसके साथ रहते हैं।

भीष्म पितामह के बारे में आपने सुना होगा कि वह शरीर के बाणों से छिदे रहने पर भी छह महीने तक शरशैय्या पर पड़े रहे और चेतन बने रहे। यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति का ही बल था | दूसरे इस तरह के व्यक्ति भी होते हैं जो अपने तनिक से घाव-चोट में चिल्लाने लगते हैं, बेहोश हो जाते हैं कई तो भय के कारण मर तक जाते हैं।

सत्यवादी हरिश्चन्द्र अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों की परीक्षा की घड़ी में अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही निभा सके थे। दूसरी ओर कई लोग जीवन की सामान्य सी परिस्थितियों में रो देते हैं। हार बैठते हैं। जीवन की सम्भावनाओं का अन्त कर डालते हैं।

महाराणा प्रताप जिन्होंने वर्षों जंगलों की खोहों में जीवन बिताया, बच्चों सहित नंगे भूखे प्यासे भटकते रहे, किन्तु इसके बावजूद भी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे वह अजेय वीर शक्तिशाली मुगल सल्तनत को चुनौती देते रहे और कभी झुके नहीं।

थोड़ी ही संख्या में दुबले पतले क्रान्तिकारियों ने भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को जो तूल दिया और विश्व-व्यापी ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी वह उन वीरों की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही परिणाम था। फाँसी की सजा सुनने पर भी जिनका वजन बढ़ा, फाँसी के तख्ते पर पहुँचकर जिन्होंने अपनी मुस्कराहट से मौत के भावयुक्त स्वाँग का गर्व चूर कर दिया, यह सब उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति की ही करामात थी।

संसार में जितने भी महान कार्य हुए, वे मनुष्य की प्रबल इच्छाशक्ति का संयोग पाकर ही हुए। दृढ़ इच्छाशक्ति सम्पन्न व्यक्ति ही महान कार्यों का संचालन करता है। वहीं नवसृजन, नवनिर्माण, नवचेतना का शुभारम्भ करता है। अपने और दूसरों के कल्याण विकास एवं उत्थान का मार्ग खोजता है।

दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे बड़े-बड़े रोगों के आक्रमण में से भी बचा जा सकता है और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।

मनुष्य के सभी विचार भाव क्रिया स्वयं उसी तक सीमित नहीं रहते। इनका प्रभाव समस्त वातावरण पर भी पड़ता है। दृढ़ इच्छाशक्ति सम्पन्न व्यक्ति जिस समाज में होंगे वह समाज भी शक्तिशाली, दृढ़ और महत्वपूर्ण होगा।

नेपोलियन बोनापार्ट के सिपाही अपने आपको नेपोलियन समझकर लड़ते थे। प्रत्येक सिपाही में नेपोलियन की इच्छाशक्ति काम करती थी।

नेता जी सुभाषचन्द्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिन्द फौज के तनिक से सैनिकों ने हथेली पर जान रखकर अंग्रेजी शासन से लड़ाई की।

लोकमान्य तिलक ने भारत वर्ष को स्वराज्य मन्त्र की दीक्षा दी- “स्वतन्त्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम उसे लेकर रहेंगे।” और यही नारा प्रत्येक भारतीय का प्रेरक मन्त्र बन गया। एक दिन इसी मन्त्र ने हमें स्वतन्त्रता रूपी सिद्धि प्रदान की। यह मन्त्र कोई शाब्दिक व्याख्या मात्र नहीं था वरन् इसमें तिलक की दृढ़ इच्छाशक्ति का अपार चैतन्य सन्निहित था।

मनुष्य की इच्छाशक्ति का प्रभाव चेतन जगत पर ही नहीं वरन् अचेतन पदार्थों पर भी पड़ता है। अपनी इच्छाशक्ति के बल पर ही मनुष्य पत्थर, धातु आदि की मूर्ति में भगवान का साक्षात्कार करता है। प्रबल इच्छाशक्ति के द्वारा मनुष्य जड़ चेतन, प्रकृति को भी प्रभावित कर सकता है।

हमें अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए। साहस और धैर्य का अभ्यास करने से बड़ी-बड़ी कठिनाइयाँ भी सहज हो जाती हैं और पराक्रमी व्यक्ति आसानी से उन पर विजय प्राप्त कर लेते है। मानव जीवन में दृढ़ इच्छाशक्ति एक अत्यन्त मूल्यवान सम्पत्ति है और इसे हम अधिकाधिक मात्रा में प्राप्त करें यही उचित है।

 

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