आशा का दीपक जलाये रखें
आशा का दीपक जलाये रखो | आशा की चिंगारी को हमेशा जलाये रखो | इस दुनिया में हर इंसान पूरी तरह से साधनहीन होकर ही आता है। जन्म के समय न तो उसके पास सबल शरीर होता है और न प्रखर बुद्धि होती है । बस अपने
छोटे-से बाल हृदय में आशा एवं आत्म-विश्वास की एक टिमटिमाती ज्योति को लेकर इस संसार में प्रवेश करता है। इसी के प्रकाश में वह जीवन की राहें खोजना शुरू करता है। आशा के आलोक में अपने प्रयास करते हुए दुनिया के बड़ी से बड़ी श्रेष्ठताओं और विभूतियों का मालिक बन जाता है। जनम के समय कुछ न लेकर आया शिशु बड़ा होकर जीवन में आने वाले बीहड़ जंगलों को पार कर लेता है | वह कठिन रास्तों पर चलने का साहस प्राप्त कर लेता है | वह कुटिल चक्रव्यूहों के बीच अपना मार्ग खोज लेता है। उसके दिल में चमकती आशा की लौ उसको दिखाती रहती है। उसके श्रेष्ठ कर्मों का चमत्कार देखकर लोग अपने दाँतों तले अंगुली दबा लेते हैं।आशा की शीतल किरण ही बधिर एवं अशान्त व्यक्तियों के चित्त को सांत्वना देती है। उसके जीवन में छाए अन्धकार को दूर करके उसे नवविश्वास एवं संभावनाएं प्रदान किया करती है। आशा की अलौकिक ज्योति में संजीवनी तत्व विद्यमान रहते हैं। मनुष्य के मन में उत्पन्न हुई आशा की एक किरण उसके अन्तःकरण में छाए हुए अन्धकार के जंजाल को छिन्न-भिन्न कर देती है | और वह तुम्हारे अंदर साहस पैदा करती है। वह तुम्हारे अंदर उल्लास पैदा करती है। वह तुम्हारे अंदर नवस्फूर्ति पैदा करती है।
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आशा ब्रह्मशक्ति है, जो तुमको संघर्षों में भी आगे बढ़ जाने की प्रेरणाएँ एवं सामर्थ्य प्रदान करती है। आशा तुम्हारे जीवन का वरदान है और निराशा अभिशाप । इस सत्य को ध्यान में रखते हुए विवेकवान व्यक्ति आशा को अपने जीवन का साथी बनाता हैं।, जो तुम्हें आगे बढ़ने की दिशा बताती रहती है। यही कारण है कि आशावादी व्यक्ति ही जीवन का सही सदुपयोग कर पाते हैं। बहुत से लोग, प्रतिकूल परिस्थितियों में घबराकर, चिन्तित, परेशान होकर आशा का सम्बल छोड़ देते हैं और निराशा के घने अँधेरे में फँसकर अपने जीवन को चौपट कर लेते हैं। किंतु बुद्धिमान एवं विवेकशील व्यक्ति ऐसी विषम परिस्थितियों में भी हार मानने के बजाय, जीत को लक्ष्य करके अधिक सक्रिय साहस के साथ आगे बढ़ जाते हैं। यह निराशा पर आशा की विजय है। आशावान व्यक्ति निराशा को कभी पास फटकने नहीं देते। वे कभी भी जीवन से हार नहीं मानते और संघर्षों से मुकाबला करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं।
जब तुम निराशा से आक्रांत होते हो, निष्क्रियता तुम पर आक्रमण कर देती है । तुम्हारा मन विषाक्त होता है और तुम्हारी जीवनी शक्ति क्षीण हो जाती है।
जब तुम्हारी चित्तवृत्ति दूषित हो जाती है | तब तुम अपने आदर्शों को छोड़ देते हो | तब तुम अपने श्रेष्ठ निश्चयों को छोड़ देते हो | तब तुम अपने सत्कर्मों को छोड़ देते हो | तब तुम अपने संकल्प को भी नष्ट कर देते हो | जिन श्रेष्ठ विचारों का किला तुमने अपने कठिन प्रयत्न करके, अनगिनत कोशिशों के बाद खड़ा किया है, निराशा का एक ही ध्वंसात्मक विचार उसे अस्त-व्यस्त करके समुन्द्र की गहराइयों में दफ़न कर देता है।
यह सभी जानते हैं। कि किसी चीज का निर्माण करना बड़ा मुश्किल है, लेकिन उसका विनाश करना, विध्वंस करना काफी सरलता से हो जाता है। ठीक इसी तरह विश्वास और आशा को बनाए रखना कठिन है। और निराश होना आसान है। यदि तुम यह जान पाते कि दूषित भाव और बुरे विचार तुम्हारे जीवन के लिए हानिकारक हैं, इन शत्रुओं को मन में रखना खतरनाक है। तो शायद तुम इस प्रकार उद्विग्न और असफल न होते। तुम शक्ति का भण्डार हो । तुम ओज के भण्डार हो । तुम्हें महान और ऊँचे काम करने चाहिए| तुम्हें प्रशंसनीय काम करने चाहिए | न कि तुच्छ-नीच एवं निन्दनीय काम। इस मानवीय सामर्थ्य एवं गरिमा का अहसास आशा की झिलमिलाती ज्योति में ही होता है।
निराशा का अहसास किसी भी स्थिति में खतरनाक होता है| रोगी को जब निराशा आकर घेर लेती है तो वह ऐसा विश्वास करने लगता है कि उसकी स्थिति दिन पर दिन गिरती जा रही है। क्योंकि निराशा का कीटाणु उसे अन्दर ही अन्दर समाप्त करता जाता है। परिणाम यह होता है, वह अपनी मौत की ओर धीरे-धीरे सरकने लगता है।
चट्टान की तरह सख्त इनसान को भी निराशा का भाव पलभर में चकनाचूर कर देता है। तुम्हारे लिए इससे बचे रहना तभी सम्भव है, जब तुम्हारी आशा की ज्योति विषमताओं की आँधियों में भी जलती रहे। जीवन को उन्नतिशील बनाए रखने के लिए तुम सदैव सुखद कल्पनाओं से अपने मन को आच्छादित रखिये।
दोस्तों पतझड़ के बाद बसन्त दुःख के बाद सुख और रात्रि के बाद दिन यह तो सृष्टि का नियम हैं| इस आशा और विश्वास को लेकर तुम्हें आगे बढ़ना चाहिए। परिस्थितियों पर विचार किए बिना निराश होने को मूर्खता ही कहा जाएगा, क्योंकि संसार में आपत्तियों का आना स्वाभाविक है, लेकिन सफलता उसी को मिलती है, जो आपत्तियों से न तो घबराता है, न निराश होता है और न ही आत्म-विश्वास को खोता है। संसार सफलता-असफलता दोनों के ताने-बाने से बुना है। यदि हम असफलताओं से हिम्मत हारकर बैठ गए, निराश होकर बैठ गए, आशाहीन होकर बैठ गए, तो संसार की सारी सक्रियता नष्ट हो जाएगी।
तुम्हारा जीवन रूपी पुष्प हमेशा खिला हुआ रहे, कभी मुरझाने न पाए, इसके लिए कभी भी निराशा एवं निरुत्साह को अपने पास न फटकने दो ।
ये तो बर्फीले तूफ़ान की तरह है | जिनसे न केवल जीवन पुष्प मुरझाता है, बल्कि समूची जीवन-ऊर्जा ही ठण्डी पड़ जाती है । सौंदर्य एवं उल्लास की अक्षुण्य बनाए रखने के लिए जरूरी है कि तुम्हारे हृदय में आशा का दीपक सदा-सर्वदा पूरी प्रखरता के साथ जलता रहे, लेकिन यह तभी सम्भव है, जब तुम अपने अंतःकरण में श्रेष्ठ विचारों का, उच्च विचारों का एवं दिव्य विचारों का घी लगातार भरते रहो।
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