जो संघर्ष के समय आगे आता है, वही श्रेय सम्मान पाता है ~ One Who Struggles ~ Motivation Hindi

 दोस्तों क्या आप जानते हो कि जो इंसान संघर्ष के समय आगे आता है, वही श्रेय सम्मान पाता है। आओ अतीत से जानते है |


साथियों पाण्डवों का जीवन कष्टों से भरा रहा। उन्हें राज सत्ता से भी बेदखल कर दिया गया था | परन्तु एक बात थी उनके जीवन में वो यह कि पाण्डव ने कभी भी नीति के मार्ग को नहीं छोड़ा | और दूसरी बात थी वह भगवान से जुडे़ रहे, अन्ततः उनके सहयोगी बनकर असुरता के नाश करने में श्रेय सौभाग्य के अधिकारी बने।

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दोस्तों चरक ऋषि का नाम तो आपने सुना ही होगा | वह आयुर्वेद के जनक के रूप में जाने जाते है | इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। चरक ऋषि जिन्दगी भर औषधियों के गुणधमों की खोज व पीड़ित मानवता हेतु चिकित्सा पद्धति के निर्माण में जुटे रहे। चरक ऋषि के इतने कष्ट सहने के उपरान्त ही वे उस श्रेय को प्राप्त कर सके जो आज आयुर्वेद के जनक के रुप में उन्हें प्राप्त हुआ है।

जब राम वनवास में थे | सब कुछ साधन सामने होते हुए भी, उनका छोटा भाई भरत कठोर तपस्वी जैसा जीवन जीते रहे। भाई- भाभी के वापस अयोध्या लौटने पर राम राज्य की स्थापना में सहयोगी बने। भरत के त्याग व निष्ठा ने उन्हें भी सहज ही वह श्रेय प्रदान कर दिया जो रामकाज में जुड़ने वाले हर देवमानव को मिला था।

चंद्रगुप्त मौर्य जोकि प्राचीन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजा हैं। चंद्रगुप्त मौर्य जिन्होंने कठोर जीवन जीकर देश के छोटे खंडित राज्यों को एक साथ लाने और उन्हें एक ही बड़े साम्राज्य में मिलाने का श्रेय दिया जाता है |  

उसी प्रकार राणाप्रताप कठोर जीवन जीकर ही इतिहास में अपना नाम अमर कर पाये | नवसृजन में सहयोगी तो बने ही।

यह परम्परा हमेशा से हमारे भारत देश में रही है। जो संघर्ष के समय आगे आता है, आगे बढ़ता है, संघर्ष करता है, वही श्रेय सम्मान पाता है।

दोस्तों जिन्होंने जीवन में साहस अपनाया है और वह कृतकृत्य बने है वही धन्य है |

यदि किसी इंसान को भगतसिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसा यश मिलने की सम्भावना हो तो उस मार्ग पर चलने के लिए हजारों लोग आतुर देखे जाते हैं। यदि समझाया जाय तो कितने ही बिना उतराई लिए पार उतारने की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं। सरदार पटेल और नेहरू बनने के लिए कोई भी अपनी वकालत छोड़ सकता है। पर हमारा दुर्भाग्य इतना ही रहता है कि हम समय को पहचान नहीं पाते है | और यदि पहचान भी लिया तो उपयुक्त अवसर पर साहस जुटाने की हिम्मत भी नहीं कर पाते है|

दोस्तों वे लोग जागरूक ही होते है, जो महत्वपूर्ण निर्णय करते है, जो साहसिकता अपनाते और स्मरण करने योग्य महामानवों की पदवी प्राप्त करते हैं। ऐसे सौभाग्यों में श्रेय की कामना करने वाले का विवेक ही प्रमुख होता है। महान बनने के लिए जहाँ आत्म-साधना और आत्म-विकास की तपश्चर्या को आवश्यक बताया गया है वहाँ इस ओर भी संकेत किया गया है कि उसकी प्रखरता से सम्पर्क साधने और लाभान्वित होने का अवसर भी न चूका जाय। यों ऐसे अवसर कभी- कभी ही आते और किसी भाग्यशाली को ही मिलते है। किन्तु कदाचित् वैसा सुयोग बैठ जाय तो ऐसा अभूतपूर्व लाभ मिलता है जिसे लाटरी खुलने और देखते- देखते मालदार बन- जाने के समतुल्य कहा जा सके।

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